स्वतंत्रता दिवस के पूर्व आयोजित विभाजन की विभीषिका गोष्ठी का आयोजन
आज बांग्लादेश के हिंदू दयनीय दशा में हैं और दूसरी ओर पाकिस्तान पोषित आतंकवाद भारत को क्षति पहुंचा रहा है। - पंकज चौधरी
दुर्गा प्रसाद ,महाराजगंज। भारत के त्रासद विभाजन का स्मरण करने के लिए 14 अगस्त को जब विभाजन विभीषिका दिवस मनाने की पहल हुई थी तो कुछ लोगों की ओर से उसका यह कहकर विरोध किया गया था कि बंटवारे के इतने वर्षों बाद इसका कोई औचित्य नहीं और उस त्रासदी को भूलकर आगे बढ़ने का वक्त है, लेकिन बांग्लादेश की घटनाएं यह बता रही हैं कि विभाजन के दंश भुलाए नहीं जा सकते। उक्त बाते केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कही।
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उन्होंने यह बात जिला पंचायत के स्वर्गीय प्रदीप चौधरी स्मृति सभागार में स्वतंत्रता दिवस के पूर्व आयोजित विभाजन की विभीषिका गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन केवल एक भूभाग का विभाजन नहीं था, पीढ़ियों से साथ रह रहे लोगों के बीच नफरत और सांप्रदायिकता की लकीर खींच दी गई थी। लगभग पूरा भारत छिन्न-भिन्न हो गया था। सालों से साथ रहने वाले लोग, एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे, हर जगह क्रूरता नजर आ रही थी, जीवन मूल्यहीन हो गया था। मानव विस्थापन का इससे भयानक और विकराल रूप पहले कभी नहीं देखा गया। भारत के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज बांग्लादेश के हिंदू दयनीय दशा में हैं और दूसरी ओर पाकिस्तान पोषित आतंकवाद भारत को क्षति पहुंचा रहा है। यह सच है कि हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति 15 अगस्त, 1947 को मिली, परंतु 14 अगस्त, 1947 को भारत विभाजन का दंश एक कभी न भरने वाला घाव दे गया। आज तक उस घाव की टीस हर भारतवासी महसूस कर रहा है। पनियरा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि 15 अगस्त भारत के लिए एक सुंदर ऐतिहासिक घटना थी तो 14 अगस्त को भारत विभाजन एक अफसोसनाक दुर्घटना है। इसको आने वाली पीढ़ी को भी इसे याद दिलाना होगा।
सदर विधायक जयमंगल कन्नौज्जिया ने कहा कि विश्व इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी देश का विभाजन हुआ हो और फिर बड़ी संख्या में उसकी प्रजा की अदला-बदली हुई हो। इससे पहले किसी राष्ट्र पर आक्रमण होता था, वहां सत्ता बदलती थी, साथ ही शासक भी बदलता था। यह सब होता था, परंतु राष्ट्र का विभाजन हुआ हो और फिर प्रजा की अदला-बदली हुई हो, यह पहली बार भारत विभाजन के समय हुआ। इसके लिए भारत ने अपनी भूमि का बंटवारा भी किया और अपने ही लोगों पर अत्याचार होते हुए भी देखा।
जिलाध्यक्ष संजय पाण्डेय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कहा कि देश का विभाजन किसी विभीषिका से कम नहीं था। इस दंश के दर्द की टीस आज भी है, जो इसे झेलने वाले लोगों की आंखों को नम कर देती है। बंटवारे का दर्द, विभाजन का दर्द हम न भूले है न भूलेंगे और न ही भूलने देंगे। गोष्ठी का संचालन जिला महामंत्री ओमप्रकाश पटेल ने किया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक बजरंग बहादुर सिंह, चौधरी शिवेंद्र सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष परदेसी रविदास , जिला उपाध्यक्ष अमरनाथ पटेल, प्रभाकर द्विवेदी संतोष सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इसके पूर्व गौनारिया पुल से जिलाध्यक्ष संजय पांडेय के अध्यक्षता में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, पनियरा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह, सदर विधायक जयमंगल कन्नौज्जिया के नेतृत्व में हज़ारों कार्यकर्ता बाइक लेकर तिरंगा यात्रा निकाली गई।
तिरंगा यात्रा के संयोजक युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष बलराम दुबे ने माला पहनाकर स्वागत किया। गोष्ठी के उपरांत मौन जुलूस निकाला गया जो सक्सेना तिराहे पर पहुच कर स्वतंत्रता सेनानी प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर केन्द्रीय मंत्री और विधायकों ने नमन किया।
इस दौरान जिला महामंत्री प्रदीप सिंह, जिला मंत्री बैजनाथ पटेल, पूर्व जिला उपाध्यक्ष अरुणेश शुक्ल, पूर्व जिला मंत्री प्रदीप उपाध्याय, चैयरमैन संतोष जायसवाल, प्रमुख प्रतिनिधि इंजी विवेक गुप्ता, राम हरख गुप्ता, ओम प्रकाश जायसवाल, प्रधान संघ अध्यक्ष चतुर्भुज सिंह, रमेश सिंह, अनिल जोशी, रघुनाथ पटेल, मानवेन्द्र सिंह, नगर अध्यक्ष सनंदन पटेल, , रमेन्द्र पटेल, चेतन वर्मा, विजय पटेल,सहित तमाम कार्यकर्ता पदाधिकारी मौजूद रहे।
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