वाल्मीकि समाज के लोगों ने मकान बिकाऊ के पोस्टर लगाएं
मुकेश कुमार (एडिटर क्राइम व सह प्रभारी उत्तर प्रदेश) मंडावर (बिजनौर)। जनपद बिजनौर के मंडावर बस स्टैंड के पास चंदक रोड पर शराब के ठेके के सामने वाल्मीकि समाज के लोगों के अंत्येष्टि स्थल, श्मशान घाट की भूमि है। श्मशान घाट की भूमि पर उनका पहले से ही मरघटई माता का मंदिर बना हुआ है। बाल्मीकि समाज के लोगों का आरोप है, कि वह रविवार को अपनी शमशान भूमि की तार बाड़ कर रहे थे। इसी दौरान लेखपाल ने आकर उन्हें तारबाढ करने से रोक दिया। जिससे गुस्साए बाल्मीकि समाज के लोगों ने एक राय होकर कस्बा से कहीं और जाने का निर्णय लेते हुए अपने अपने घरों पर मकान बिकाऊ के पंपलेट चिपका दिए।
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वाल्मीकि समाज के लोगों का आरोप है, कि मंडावर बस स्टैंड के पास उनके श्मशान भूमि है। जिस पर नगर पंचायत अध्यक्ष जर्बदस्ती टैक्सी स्टैंड बनवाना चाहता हैह जिस पर उन्होंने बोर्ड भी लगवा दिया था। जिसे लेकर उन्होंने 1 जून को मंडावर थाना प्रभारी को लिखित शिकायत पत्र दिया था और उसके बाद उन्होंने 7 जून को जिलाधिकारी से मिलकर उन्हें भी इस जमीन के बारे में शिकायत पत्र दिया था। जिसके बाद वोर्ड वहां से हटा दिया गया था। जिससे उन्होंने बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष जबरदस्ती उनकी श्मशान घाट की भूमि पर नाजायज तरीके से बनवाना चाहता है। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन व तहसील विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। थाना प्रभारी संजय कुमार ने भी वाल्मीकि बस्ती में पहुंचकर वाल्मीकि समाज के लोगों को काफी समझाने का प्रयास किया और तहसीलदार अनुराग सिंह भी टीम के साथ वाल्मीकि बस्ती पहुंचे और बाल्मीकि समाज के लोगों से वार्ता की और श्मशान घाट की भूमि का निरीक्षण किया। तहसीलदार द्वारा बताया गया कि यह जमीन सरकार की है। उस पर बनाई गई झोपड़ियों को हटा कर कबजा मुक्त की जाए। जिसके बाद सरकार द्वारा ही उक्त भूमि को तारबंदी कराई जाएगी, और इस भूमि पर टैक्सी स्टैंड नहीं बनने दिया जाएगा। तहसीलदार और थाना प्रभारी के आश्वासन के बाद वाल्मीकि समाज के लोगों ने अपनी सहमति जताई। जिसके बाद वाल्मीकि समाज के लोगों ने अपने घरों पर चिपकाए गए मकान बिकाऊ के पोस्टर हटा दिए। वहीं थाना प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि सरकारी भूमि पर तारबंदी को लेकर प्रकरण हुआ था। तहसीलदार के निर्देशन में भूमि को नाप तोल कराकर तारबंदी कराई जाएगी। वही हल्का लेखपाल प्रमोद कुमार ने बताया कि उक्त भूमि अभिलेखों में कब्रिस्तान के नाम दर्ज है। उस पर किसी भी एक समाज या समुदाय का अधिकार नहीं है। वाल्मीकि समाज के लोग उस पर तारबंदी कर रहे थे। जिन्हें तारबंदी करने से रोक दिया गया।
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