मिलावटखोरी कहीं सेहत न बिगाड़ दे, खाद्य पदार्थों में भारी मिलावट बनी बड़ी आफ़त
मुख्यमंत्री जी ! जरा कुशीनगर जनपद के खाद्य पदार्थों के उपभोक्ताओं पर ख्याल करें , नहीं तो ---देखते ही देखते इनकी जान जा सकती है। इनके प्राणों की रक्षा कीजिए, प्राणों की रक्षा कीजिए।
राधेश्याम शास्त्री, दुदही -कुशीनगर / उत्तर प्रदेश। चुनाव के पश्चात अब इस समय खाद्य पदार्थों में मिलावट फिर तेजी से बढ़ गई है। खाद्य एवं औषधीय विभाग इसकी रोकथाम के लिए छापेमारी तो कर रहा है, लेकिन फिर भी बाज़ार में इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है।बिशेषज्ञों का कहना है कि लग्न एवं त्यौहारों पर बाजार में आई ज्यादातर चीजों में मिलावट है। लोगों ने अगर सतर्कता नहीं बरती तो उनकी सेहत बिगड़ सकती है। लग्न एवं त्यौहारों पर मेला, नमकीन, पापड़ ,पनीर, मिष्ठान , खाद्य तेल जैसी चीजों में घातक रसायन युक्त रंग और अखाद्य पदार्थ मिलाकर इन्हें बेचा जा रहा है। त्योहार पर खोवा , पनीर में भी खूब मिलावट की जा रही है।
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आपको बता दें कि पनीर में स्टार्च मिलाया जा रहा है जिससे पनीर का रंग निखर जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इसकी पहचान करने के लिए पनीर को पानी में उबालकर ठंडा कर लें। इसके बाद थोड़ा सा आयोडीन सांल्यूशन डालें। अगर रंग नीला हो जाय तो समझ लें की पनीर में स्टार्च की मिलावट है। वहीं खोवा को उंगली से मसलकर उसकी गुणवत्ता पता की जा सकती है। मिलावटी खोवा दानेदार होता है। शुद्ध खोवा में चिकनाई होती है। दूसरा तरीका यह भी है कि खोवा को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ें। अगर यह शुद्ध होगा, तो उसे घी की खुशबू आयेगी और देर तक रहेगी। अगर रगड़ने पर खोला फटने लगे तो समझ जाएं की नकली है। दो ग्राम खोवा को पांच ५ मिलीं ग्राम गर्म पानी में घोलकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसमें आयोडीन सोल्यूशन डालें।खोवा मिलावट होगा तो उसका रंग नीला हो जायेगा। थोड़ी चीनी डालकर गरम करें, अगर पानी छोड़ने लगे तो भी समझिए कि खोवा नकली है।
विशेषज्ञों ने बताया कि मिठाइयां खरीदने में सावधानी बरते
खोवा से बनी मिठाई खरीदने से परहेज़ करें। रंगों में किसी तरह का पोषक तत्व नहीं होता है।यह सिर्फ मिठाइयों की सजावट के काम आते हैं।। सिंथेटिक रंगों से तैयार मिठाई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे पाचन क्रिया को नुक़सान पहुंचाता है। पेट में गड़बड़ी,सिर दर्द, अनिद्रा , त्वचा रोग शिकायतें सामने आतीं हैं। खोवा में सड़े आलू , मिल्क पाउडर, सिंथेटिक मैटेरियल की मिलावट होती है। इससे पेट दर्द,उल्टी,तेज बुखार, संक्रमण,लिवर में सूजन, चक्कर आना और जी मिचलाना जैसी समस्या हो सकती है।तेल में पाम आयल, वेजिटेबल आॅयल,आजी॔मोन, प्योरिफाइल ईंजन आयल,घातक केमिकल एसेंस की मिलावट होती है। इससे आंखों में जलन , त्वचा रोग, रतौंधी, लम्बे समय तक के इस्तेमाल से कैंसर का ख़तरा रहता है।
मुख्यमंत्री जी ! जरा कुशीनगर जनपद के खाद्य पदार्थों के उपभोक्ताओं पर ख्याल करें , नहीं तो —देखते ही देखते इनकी जान जा सकती है। इनके प्राणों की रक्षा कीजिए, प्राणों की रक्षा कीजिए।
कुशीनगर जनपद के अति पिछड़े पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनपढ़ व गंवार बसते हैं, जहां संसाधन के अभाव में गरीब मजदूरों आदि की जान जा सकती है। दवा इलाज दूर-दराज स्पताल होने के कारण नहीं हो पाता है। जच्चा -बच्चा के प्रांण चले जाते हैं। जनपद का अति पिछड़ा क्षेत्र विकास खंड क्षेत्र दुदही,सेवरही, तमकुही राज, फाजिल नगर,नेबुआ नौरंगिया व खड्डा हमेशा बीमारी से प्रभावित रहता है।
यदि मिलावटखोरों के मिलावट पर तत्काल रोक नहीं लगाया गया तो उपभोक्ताओं की जान जा सकती है, यह निश्चित है।
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