पूर्वी उत्तर प्रदेश में गेहूं की नवीन प्रजातियों एवं कृषि प्रौद्योगिकियों का अंगीकरण

किसानों को गेहूं की पुराने प्रजातियों को छोड़ नवीन प्रजातियों की तरफ उत्सुकता दिखानी चाहिए। - डॉ अंजनी कुमार सिंह

दुर्गेश राय, पूर्वांचल प्रभारी उप्र tv9 भारत समाचार :मऊ।भा.कृ.अनु.प. भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ ने दिनांक 25 नवम्बर 2024 को भा.कृ.अनु.प. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के साथ मिलकर किसान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। डॉ. संजय कुमार, निदेशक, भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का विषय ‘पूर्वी उत्तर प्रदेश में गेहूं की नवीन प्रजातियों एवं कृषि प्रौद्योगिकियों का अंगीकरण’ था।

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कार्यक्रम में डॉ. रतन तिवारी, निदेशक, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डॉ अंजनी कुमार सिंह, प्रधान वैज्ञानिक ने अतिथियों एवं किसानों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की तथा उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को गेहूं की पुराने प्रजातियों को छोड़ नवीन प्रजातियों की तरफ उत्सुकता दिखानी चाहिए एवं नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना चाहिए जिससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी अपितु हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि डॉ. रतन तिवारी ने किसानों को गेहूं की नई प्रजातियों डी बी डब्ल्यू 187 (करण वंदना) और डी बी डब्ल्यू 316 (करण प्रेमा) लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जो उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र की उन्नत किस्में हैं। जहाँ डी बी डब्ल्यू 187 से 48.8 कु./हेक्टेयर पैदावार मिलती है जो कि पूर्व की लोकप्रिय किस्म एचडी 2967 से 8.9 प्रतिशत अधिक है वहीं डी बी डब्ल्यू 316 पछेती एवं अत्यधिक पछेती दशा में बुवाई व ऊष्मप्रतिरोधिता के लिए अनुकूल है।

वैज्ञानिक डॉ. कल्याणी कुमारी ने गेहूं और जौ में गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन पर व्याख्यान प्रस्तुत किया तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ उमेश काम्बले ने गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में बीज प्रसंस्करण की भूमिका पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने चिंता जताते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषकों को फसलों की उन्नत और नई किस्मों की जानकारी कम है इसलिए पूर्वांचल के किसान भाइयों को पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी प्रांत के किसानों से सीख लेते हुए अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है जो कि कार्यक्रम का उद्देश्य भी है।

कार्यक्रम का समापन डॉ पवित्रा वी द्वारा दी गए धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। वैज्ञानिक, डॉ अलोक कुमार ने मंच संचालन किया। संस्थान के अन्य वैज्ञानिक डॉ अमित दाश, डॉ बनोथ विनेश, डॉ कुलदीप जायसवाल तथा डॉ सिवम्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कार्यक्रम को सफल बनाया।

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