नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड ने विपक्षी पार्टियों पर अपने बयान पर संसद में स्पष्टीकरण रोकने का लगाया आरोप
प्रधानमंत्री प्रचंड द्वारा अपने विवादित बयान पर संसद में दिया जाना था स्पष्टीकरण, नेकपा एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा 'ओली' ने पीएम प्रचंड से आरोप को वापस लेने की मांग की
नेपाल। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ द्वारा एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में यह कहने के बाद कि ‘सरदार प्रीतम सिंह, उनको प्रधानमंत्री बनाने के लिए कई बार दिल्ली गए थे’। उनके इस विवादित बयान पर मचे घमासान एवं कई दिनों से संसद को बाधित किए जाने पर रविवार को उनके द्वारा सफाई देनी थी, लेकिन प्रमुख विपक्षी दलों द्वारा सहयोग न देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सोमवार तक के लिए टाल दिया गया।
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नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय सिंह दरबार में प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के विवादित बयान पर बाधित चल रहे संसद को सुचारु रुप से चलने देने को लेकर हुई रविवार की सुबह प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा व केपी शर्मा ‘ओली’ की एक बैठक संपन्न हुई। जिसमें तीनों शीर्ष नेताओं के बीच चर्चा के बाद कांग्रेस और माओवादी नेताओं ने कहा कि नेकपा इस्तीफे की मांग से पीछे हट और यह तय हुआ कि प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण के बाद संसद की बाधा दूर हो जाएगी। बैठक के बाद नेताओं ने कहा था कि वे प्रधानमंत्री का स्पष्टीकरण सुनेंगे और अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो संसद को फिर से अवरुद्ध किया जा सकता है। इस विवाद के कारण संसद की बैठक शुरु की नहीं हो सकी और स्पष्टीकरण अधिसूचना को सोमवार तक के लिए टाल दिया गया है।
प्रमुख सत्ता घटक कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक रमेश लेखक ने कहा कि संसद भवन पहुंचने के बाद नेकपा एमाले ने अपनी भाषा बदल दी। उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति बनी थी कि प्रधानमंत्री जवाब देंगे इसके बाद संसद चलने दिया जाएगा। नेकपा अपनी बात से मुकर गई और आज की बैठक नहीं हो सकी।
सत्तारूढ़ नेकपा-माओवादी केंद्र के मुख्य सचेतक हितराज पांडेय ने कहा कि नेकपा नेताओं ने संदेश भेजा था कि संसद की बाधा को दूर करने के लिए कोई समझौता नहीं हुआ है। प्रमुख विपक्षी दल नेकपा एमाले के सचिव योगेश भट्टराई ने कहा कि जब वह प्रधानमंत्री का जवाब सुनने संसद पहुंचे तो प्रधानमंत्री के आग्रह पर बैठक कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि स्पष्टीकरण देने से पहले क्या हमसे नहीं पूछना चाहिए ?
गंभीर आरोप वापस लें प्रचंड : ओली
नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी शर्मा ‘ओली’ ने कहा है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और नेकपा माओवादी केंद्र द्वारा उन पर लगाए गए आरोप वापस लिए जाने चाहिए। रविवार सुबह प्रधानमंत्री प्रचंड, मुख्य विपक्षी दल नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और मुख्य सत्ता घटक दल नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के बीच संसद की रुकावटें खोलने पर चर्चा हुई। नेकपा एमाले के साथ इस बात पर सहमति बनी कि प्रधानमंत्री प्रचंड विवादास्पद बयान के बारे में स्पष्टीकरण देंगे, लेकिन उक्त समझौता लागू नहीं हो सका।
संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए नेकपा एमाले के अध्यक्ष ओली ने कहा कि प्रधानमंत्री के कारण सदन नहीं चल सका। पत्रकारों के इस सवाल के जवाब में कि आप (इस्तीफे की मांग से) पीछे हट गए, ओली ने कहा, ‘यह बेवकूफी थी।’ उन्होंने (प्रधानमंत्री) हम पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उन्होंने इस्तीफे की मांग को वापस नहीं लिया है। यह ऐसा कुछ नहीं था जिस पर हम गंभीर रहकर सहमत हुए हों।
केवल तीन नेताओं का सिंडीकेट संसद चलाने की जिम्मेदारी नहीं ले सकता, गलत अभ्यास चल रहा : रवि लामिछाने
नेपाल के पूर्व गृहमंत्री व राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (रास्पा) के अध्यक्ष रवि लामिछाने ने कहा है कि तीन नेताओं के मूड से संसद नहीं चल सकता। रविवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रवि लामिछाने ने कहा कि तीनों नेताओं (प्रधानमंत्री प्रचंड, शेर बहादुर देउबा व केपी शर्मा ओली) के आपसी विचार व बातचीत से संसद चलने देना अथवा न चलने देने का अभ्यास करना एक गलत परंपरा की शुरुआत हो रही है। सदन कुछ नेताओं के मूड पर चलने वाली चीज नहीं है, सदन को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की जनता को हमसे बहुत उम्मीदें रहती हैं।
उन्होंने इस बात पर गुस्सा जताया कि तीनों पार्टियां संसद में सिंडिकेट प्रथा लागू करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी ओली से बात की गई है।
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