जिला अस्पताल की ओपीडी में दवा लेने के लिए लगी मरीजों की लम्बी लाइन, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

मरीज निराश होकर लौट रहे हैं। निजी अस्पतालों में महंगा इलाज ही नहीं करा रहे बल्कि जांच और दवाएं भी बाहर से खरीदने के लिए मजबूर

अभिषेक कुमार सिंह,जिला प्रभारी :गोरखपुर /बाराबंकी। बाराबंकी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जिम्मेदार भी इसे लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं। नतीजतन इसका खामियाजा अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मरीज निराश होकर लौट रहे हैं। निजी अस्पतालों में महंगा इलाज ही नहीं करा रहे बल्कि जांच और दवाएं भी बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं।

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यहीं नहीं सबसे खराब स्थिति सीएचसी जैदपुर की है। यहां पर इनवर्टर खराब पड़ा हुआ है। रात में बिजली आपूर्ति बंद हो जाने पर कमरों में अंधेरा छा जाता है। प्रसव तक मोबाइल की रोशनी में कराए जाते हैं। इसके अलावा यहां नियमित चिकित्सक की तैनाती न होने की वजह से प्रशिक्षु डॉक्टरों से अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। वहीं जन औषधि केंद्र बंद होने की वजह से मरीज और उनके तीमारदारों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।

बिजली कटने पर अंधेरे में बीतती है प्रसूताओं की रात

सीएचसी जैदपुर में भर्ती मौथरी की सीमा ने बताया कि बृहस्पतिवार रात एंबुलेंस में प्रसव हो गया था। यहां भर्ती कराया गया लेकिन रात में बिजली कट जाने पर पूरे कमरे में अंधेरा छा गया। मोहल्ला अहिरान निवासी साइना बानो ने बताया की रात में प्रसव हुआ तो बच्चा कमजोर होने की वजह से उसे मशीन में रखा गया। बिजली कट जाने पर 10 मिनट बाद निकाल दिया गया। वार्ड में मौजूद सभी ने अपना मोबाइल जलाया, तब जाकर उजाला हुआ। इन लोगों ने बताया कि बिजली न होने की दशा में मोबाइल के उजाले में प्रसव कराए जाते हैं। सीएचसी अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार सरोज ने बताया कि दो बार इनवर्टर खराब हो चुका है। जल्द ही नया इनवर्टर लगवाया जाएगा। बिजली कटने पर जनरेटर चलाया जाता है।

तीन साल से नहीं है रेडियोलॉजिस्ट

जिला अस्पताल में तीन साल से कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके चलते यहां प्रशिक्षुओं से मरीजों का अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। शुक्रवार को अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बैठे मरीज अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। रानीगंज की नंदकिशोर और देवा की नित्या ने बताया कि सुबह नौ बजे से इंतजार करे रहे हैं और अब 11 बज गया, अभी तक नंबर नहीं आया है। नियमित डॉक्टर न होने की वजह से प्रशिक्षुओं से अल्ट्रासाउंड का काम लिया जा रहा है। इससे ज्यादातर मरीज निजी पैथालॉजी पर जाकर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर रहते हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश कुशवाहा ने बताया कि रेजीडेंसी प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षु चिकित्सकों से अल्ट्रासाउंड का काम लिया जा सकता है।

जनऔषधि केंद्र में ताला बंद

जिला महिला अस्पताल में खुले जन औषधि केंद्र पर चार दिनों से ताला बंद है। इससे मरीजों खासकर प्रसूताओं को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। इस संबंध में जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि जिस कंपनी को ठेका मिला है, उसकी वैधता समाप्त हो गई है। नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है। नवीनीकरण होते ही जनऔषधि केंद्र संचालित करा दिया जाएगा।

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