गुलदार के कारण आखिर कब तक ग्रामीण लोगों की जानें जाती रहेंगी ?

जनपद बिजनौर में 16वीं मौत होने से मचा हाहाकार, ग्रामीण लोग घरों से बाहर निकलते हुए डर रहे हैं।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर व सह प्रभारी उत्तर प्रदेश) TV9 भारत समाचार  अफजलगढ  (बिजनौर)। उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर में गुलदार के कारण आए दिन ग्रामीण लोगों की जाने जा रही हैं। लोग मर रहे हैं, जब भी ग्रामीण लोग वन विभाग के अधिकारियों पर आपत्ति दर्ज करते हैं और कहते हैं कि गुलदार को पकड़ो, इस पर वन विभाग के अधिकारी औपचारिकताऐ पूरी कर अपने कार्यालय में आराम से बैठ जाते हैं। परंतु देखने में आ रहा है। कि उनकी औपचारिकताएं पूरी करने से लोगों की जाने नहीं बच पा रही हैं। वन विभाग को ठोस खत्म उठाने होंगे, तभी जाकर आए दिन गुलदार के कारण होने वाले मौतों का सिलसिला थम सकता है।

यह भी पढ़ें : वाल्मीकिनगर भारत नेपाल सीमा पर 121 वीं नारायणी गंडकी महा आरती कार्यक्रम का आयोजन

जनपद बिजनौर के ब्लॉक अफजलगढ़ के ग्राम पंचायत शाहपुर जमाल बी के निवासी संजय कुमार के 10 वर्षीय पुत्र नैतिक को गुलदार ने 28 सितंबर के शाम 6:00 बजे के लगभग हमला कर मौत के घाट उतार दिया। मासूम 10 वर्षीय नैतिक अपने घर से परचून की दुकान पर कुछ सामान लेने के लिए गया था, जैसे ही वह दुकान से अपने घर के लिए लौट रहा था। तभी घात लगाए बैठे गुलदार ने मासूम नैतिक पर हमला कर दिया। तभी वहां पर उपस्थित ग्रामीण लोगों ने शोर मचाया और गुलदार नैतिक को गन्ने के खेत में छोड़कर भाग गया।  जिससे मासूम नैतिक लहू लहान हो गया। जिसे तुरंत स्थानीय निजी चिकित्सक के यहां पर ले जाया गया, परंतु स्थानीय चिकित्सक ने नैतिक की हालत को गंभीर देखते हुए उसे बाहर के लिए रेफर कर दिया। जहां पर धामपुर में एक स्थानीय निजी चिकित्सक ने मासूम नैतिक को मृत घोषित कर दिया। मासूम नैतिक के शव को देखकर उपस्थित सभी ग्रामीण लोगों की आंखों में आंसुओं का सैलाब आ गया और पूरे इलाके में हाहाकार मच गया। ग्रामीण लोगों के आक्रोश ने राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर जाम लगाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीण लोगों को समझाबुझा कर जाम खुलवाया। जिला बिजनौर में गुलदार के कारण यह मासूम नैतिक के 16 वीं मौत थी और पशुओं की तो कोई गिनती ही नहीं है। गुलदार ने न जाने कितने पशुओं को अपना निवाला बनाया और देखने में आया है कि जो ग्रामीण लोगों के यहां पर कुत्ते पाले जाते थे या जो आवारा कुत्ते थे वह अब गांव में दिखाई नहीं दे रहे है। जिनको गुलदारो ने अपना शिकार बनाया है। अब सवाल यह उठता है कि इतनी मौतें होने के बाद भी शासन प्रशासन कोई ठोस खत्म क्यों नहीं उठा रहा है। क्या गुलदार के कारण इसी तरह जान जाती रहेंगे यह बहुत बड़ा सवाल है?

यह भी पढ़ें : वाल्मीकिनगर भारत नेपाल सीमा पर 121 वीं नारायणी गंडकी महा आरती कार्यक्रम का आयोजन