कृषक प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का किया गया आयोजन,परंपरागत बीजों के किस्मों की पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में दी गयी जानकारी

पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम,2001 कानून के अंतर्गत प्रचलित परंपरागत किस्में जो हजारों वर्षों से संरक्षित हैं उनका पंजीकरण आवश्यक - डॉ. दिनेश कुमार अग्रवाल

दुर्गेश राय, पूर्वांचल प्रभारी : tv9भारत समाचार :मऊ /उप्र।भा.कृ.अनु.प. भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ ने शनिवार को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली के साथ मिलकर कृषक प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को परंपरागत बीजों के किस्मों की पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जानकारी देना और उन्हें स्वयं पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करना था।

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फोटो कैप्शन -कार्यक्रम के दौरान 300 से अधिक किसान रहे उपस्थित

कार्यक्रम में डॉ. दिनेश कुमार अग्रवाल, महा पंजीयक, पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए बौद्धिक सम्पदा को सरल भाषा में परिभाषित किया। कृषि क्षेत्र में नई किस्मों के विधिवत पंजीकरण द्वारा किस प्रकार कृषक जैव विविधता के संरक्षण में अपनी महतवपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं एवं साथ ही लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं, इस विषय पर उन्होंने कृषकों को विस्तार से समझाया।

उन्होंने बताया कि पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम,2001 कानून के अंतर्गत प्रचलित परंपरागत किस्में जो हजारों वर्षों से संरक्षित हैं उनका पंजीकरण आवश्यक है। संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषकों को उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत देसी किस्मों के पंजीकरण में संस्थान की तरफ से हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ कुलदीप जायसवाल एवं डॉ पवित्रा वी ने किया। डॉ अंजनी कुमार सिंह, डॉ कल्याणी कुमारी, डॉ अमित दाश, डॉ अलोक कुमार, डॉ बनोथ विनेश तथा डॉ सिवम्मा ने कृषकों को प्रचलित परंपरागत किस्में के पंजीकरण के साथ ही बीजों की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु विभिन्न क्रियाकलापों की जानकारी दी। इस कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कार्यक्रम को सफल बनाया।

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