कांग्रेस के नेतृत्व का एक दौर ऐसा था, जब जनता से जुड़े मुद्दों पर बात की जाती थी

देश को युवा महामानव के रूप में बतौर प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी जी के नेतृत्व का अवसर प्राप्त हुआ था।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर नई दिल्ली)TV9 भारत समाचार भागलपुर (बिहार)। हिन्दुस्तान में 1984के आम चुनाव के बाद जब भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ा उलटफेर होते हुए देश को युवा महामानव के रुप में बतौर प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी जी के नेतृत्व का अवसर प्राप्त हुआ था। एक यह दौर था जब देश में अलगाववादी तत्व भारतीय सरजमीं के टुकड़े करने को आमदा थे।

यह भी पढ़ें : 5.83 लाख के घोटाले में प्रधान समेत तीन पर केस के आदेश

लेकिन हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी श्रीमान राजीव गांधी जी के नेतृत्व में इतनी दृढ़ इच्छा शक्ति थी। कि भारत का भूगोल तो बदला लेकिन खालिस्तान के निर्माण से नहीं बल्कि अरुणाचल प्रदेश को भारतीय सरजमीं का अभिन्न अंग बनाकर। एक यह दौर था जब चीन ,अरुणाचल प्रदेश को अपना बताकर भारत पर दबाव डाल रहा था ।

दूसरी ओर भारत का गांधीवाद नेतृत्व था जो चीन के बजाय भारत के भूगोल और विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली का विस्तार करते हुए अरुणाचल प्रदेश को चीन की सरजमीं बनने से रोकने की दिशा में सफलता प्राप्त किया। कांग्रेस के नेतृत्व का यह दौर ऐसा था ,जब जनता से जुड़े मुद्दों पर बात किया जाता था और जनता की परेशानियों और असहिस्ता का आकलन करते हुए देश के जनजीवन को समरस में सुसंपन्न बनाने की दिशा में कार्य किया जाता था।

इसी कड़ी में श्रीमान राजीव गांधी जी ने यह अनुभव किया कि भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो कार्य जनहित में किया जा रहा है। क्या वह सचमुच में जनता के हितों की रक्षा कर रही है ,अथवा वह मुद्दे सिर्फ सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है। श्रीमान राजीव गांधी जी के मूल्यांकन के क्रम में पाया गया कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी से आम जनता के लिए अगर ₹1 भेजा जा रहा है तो आम जनता को मात्र 15 पैसे प्राप्त हो रहे हैं।

तब राजीव जी ने इस घटनाक्रम को एक बड़ी विडंबना के रूप में स्वीकार किया। कि जिस जनता को भेजे हुए एक रुपए का 100 पैसा मिलना चाहिए, उन्हें मात्र 15 पैसे मिल रहे हैं। जो कि भारत जैसे नवसृजित लोकतंत्र के लिए चिंताजनक थी। ऐसे समय में हमारे नेतृत्वकर्ता राजीव गांधी जी ने आम जनमानस से आग्रह करते हुए चिंता व्यक्त किया कि हमारे संज्ञान में आया है ,कि आप अपने वाजिब हक और अधिकार से वंचित हैं।

हमारी प्रतिबद्धता है, कि मैं आपको दिल्ली से चले ₹1 के 15 पैसे की जगह आपको पूरे 100 पैसे से लाभान्वित कर सकूं और आजाद भारत के जनता को अपने सतत विकास की दिशा में निरंतर प्रगतिशीलता को कायम रख सकने में सहयोग कर सकूं। समय व्यतीत होता गया और योजना धरातल पर आने से पूर्व ही कांग्रेस की सत्ता चली गई और योजना अधूरी रह गई।

पुन: जब कांग्रेस देश की जनता से सत्ता की याचना कर रही थी, तब हमारे यशस्वी नेता हमें छोड़कर चले गए थे। और देश वैश्विक मंदी से गुजरते हुए पाई पाई को मोहताज होने के कगार पर आ पहुंचा था। जिसे तब के तत्कालीन वित्त मंत्री सरदार डॉक्टर मनमोहन सिंह जी जैसे प्रख्यात अर्थशास्त्री ने संभालने का कार्य किया।

दौर 1996 का था जब एक बार पुनः नई सरकार के चयन की प्रक्रिया अपने चरम सीमा पर थी। तब जनता ने कांग्रेस पार्टी को एक बार पुनः सत्ता से दूर रखने का कार्य किया और परिणाम यह हुआ कि आने वाले 8 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका में बार-बार राजीव जी के सपनों को साकार होते देखने के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाये बेबस लाचार देखती रही।

दौर आया 2004 का जब जनता को लगा कि राजीव जी का सपना सिर्फ कांग्रेस ही नेतृत्व ही पूरा कर सकती है। तब जनादेश कांग्रेस के पक्ष में आया और सरदार डॉक्टर मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। जिसमें उन्होंने अपने 10 वर्ष से कार्यकाल में आधार कार्ड के माध्यम से लगभग सवा सौ करोड़ भारतीयों को एक विशिष्ट पहचान देकर लाभांश को सीधे लाभुकों के खाते में भेजने का कार्य किया

और प्रथम बार इस नेचुरल पेट्रोलियम गैस के साथ-साथ 34 अन्य योजनाओं के लाभांश की राशि को प्रत्यक्ष स्थानांतरण योजना के माध्यम से 1 जनवरी 2013 को जान समर्पित करते हुए राजीव जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया और भारत भूमि के जनता को उनके वाजिब हक से रूबरू कराने का कार्य किया।

यह भी पढ़ें : 5.83 लाख के घोटाले में प्रधान समेत तीन पर केस के आदेश