राजस्थान के यह दो टाइगर संभाल रहे हैं संभल का मोर्चा, जामा मस्जिद बवाल शांत करने में लगाई जान की बाजी।

एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई भी लगातार मामले पर नज़र बनाए हुए हैं। संभल को संभालने वाले यह दो जांबाज़ कौन है? संभल के जिलाधिकारी डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया राजस्थान केसरी गंगानगर जिले के श्री करनपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। राजेंद्र का जन्म 10 अगस्त 1983 को हुआ था। राजेंद्र ने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2005 में कैटिगरी 3 में टीचर बनें।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार संभल (उत्तर प्रदेश)। 

इन दोनों उत्तर प्रदेश का संभल जिला काफी सुर्खियों में बना हुआ है। संभल की विवादित जामा मस्जिद परिसर में रविवार को सर्वे के दौरान हुए विवाद के बाद से संभल के जिलाधिकारी और एसपी एक्शन मोड ने नज़र आ रहे हैं। जिलाधिकारी डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने हालात को काबू में करने के लिए बाहरी व्यक्तियों एवं जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर 30 नवंबर तक रोक लगाई हुई है। वहीं, एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई भी लगातार मामले पर नज़र बनाए हुए हैं।

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कौन हैं संभल को संभालने वाले यह दो जांबाज़?

संभल के जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र पेंसिया राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। राजेंद्र का जन्म 10 अगस्त 1983 को हुआ था। राजेंद्र ने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2005 में कैटिगरी 3 में टीचर बनें। सरकारी टीचर की नौकरी के साथ ही राजेंद्र ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी।

पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा निकालने में नाकाम रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा (RAS) पास कर बतौर बीडीओ पोस्टिंग ली। इसके बाद भी वह लग रहे और साल 2011 में आर एस एग्जाम मैं आठवीं रैंक लाकर डिप्टी कलेक्टर बनें। यूपीएससी की परीक्षा में चार बार असफल रहने के बाद आखिरकार पांचवी बाद में सफलता हासिल हुई।

बचपन से पढ़ाई में तेज़ थे बिश्नोई………..

IPS श्री कृष्ण कुमार बिश्नोई राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले हैं। अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने राजस्थान से ही पूरी की। इसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 2015 में उन्होंने पेरिस स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल अफेयर्स से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में मास्टर किया। इसके बाद 1 साल तक यूनाइटेड नेशन के ट्रेड सेंटर में 30 लाख रुपए सालाना पैकेज वाली नौकरी भी की।

फिर उन्होंने भारत आने का फैंसला लिया। यहां उन्होंने एमफिल कर विदेश मंत्रालय में कुछ समय तक नौकरी की। लेकिन पहले प्रयास में उन्हें असफलता हाथ लगी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर लिया।

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