यह फ्री मार्केट है, सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट की कीमतों को विनियमित करने की याचिका ख़ारिज की।
इस पर पीठ ने कहा है कि अगर आप कार्टेलाइजेशन का आरोप लगा रहे हैं, तो कॉम्पिटीशन कमिशन ऑफ इंडिया के पास जाएं। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगर याचिकाकर्ता उचित वैधानिक उपाय का कर लेना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंटरनेट की कीमतों को विनियमित करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। भारत के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने रजत नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा है कि उपभोक्ताओं के पास इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कई विकल्प है।
पीठ ने कहा है कि यह एक फ्री मार्केट है, इसमें कई विकल्प है, पको वायर्ड इंटरनेट मिलता है, अन्य इंटरनेट भी है, बीएसएनएल और एमटीएनएल भी आपको इंटरनेट दे रहे हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि बाजार के अधिकांश हिस्से पर जियो और रिलायंस का नियंत्रण है।
कॉम्पिटीशन कमिशन ऑफ इंडिया के पास जाएं।
इस पर पीठ ने कहा है कि अगर आप कार्टेलाइजेशन का आरोप लगा रहे हैं, तो “कॉम्पिटीशन कमिशन ऑफ इंडिया के पास जाएं”. हालांकि, अदालत में स्पष्ट किया है कि अगर याचिकाकर्ता वैधानिक उपाय का सहारा लेना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।
जियो की सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी………….
टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ़ इंडिया के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में कुल इंटरनेट ग्राहकों की 50.40% बाजार हिस्सेदारी के साथ रिलायंस जियो इन्फोकॉम के पास थी। इसके बाद भारतीय एयरटेल 30. 47% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर था।
“ट्राई की द इंडियन टेलीकॉम सर्विस ईयरली परफॉर्मेंस इंडिकेटर” ( 2023-2024 ) , मार्च 2024 के अंत में इंटरनल ग्राहकों की कुल संख्या बढ़कर 954.40 मिलियन हो गई। जो मार्च 2023 के अंत में 881.25 मिलियन की तुलना में 8.30% की वार्षिक वृद्धि दर्शाती है।
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