वापस मिलेंगे रिश्वत दिए पैसे, CBI में भी ऐसी व्यवस्था नहीं है, लोकायुक्त की जल्द राशि लौटाने की तैयारी।
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने बताया है कि इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ राज्य में पहले यह व्यवस्था है। शुरुआत में इसके लिए लगभग 40 लाख रुपए का फंड बनाने का प्रस्ताव है। लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने बताया है कि केस का निपटारा होने में औसतन 10 वर्ष लग जाते हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश)। रिश्वत लेने वालों को पकड़वाने में लोगों को सबसे अधिक डर इस बात का भी रहता है कि रिश्वत में दी गई उनकी राशि फंस जाएगी। लगभग 25% मामलों में यह राशि 1 से 5 लाख रुपए तक भी होती है। अभी शिकायतकर्ता को यह राशि कोर्ट से निपटारा होने पर सालों बाद मिल पाती है। अब सरकारी यह व्यवस्था करने की तैयारी में है कि इसके लिए विशेष निधि बना दी जाएं।
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इससे शिकायतकर्ता को ट्रैप की राशि लौटा दी जाएं। बाद में कोर्ट से मामले का निपटारा होने के बाद यह राशि विशेष निधि में पहुंचे जाए। इस तरह राशि का आना-जाना बना रहेगा।
विशेष निधि बनाने का प्रस्ताव….……………
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने बताया है कि इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ राज्यों में पहले यह व्यवस्था है। शुरुआत में इसके लिए लगभग 40 लख रुपए का फंड बनाने का प्रस्ताव है। लोकायुक्त पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि केस का निपटारा होने में औसतन 10 वर्ष लग जाते हैं।
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तब तक राशि शिकायतकर्ता को नहीं मिल पाती है। यह राशि जब्ती में कोर्ट के अधीन रहती है। इसका कहीं उपयोग भी नहीं किया जा सकता है। न ही शिकायतकर्ता को इस राशि का ब्याज मिल पाता है।
EOW में भी बनाई जा सकती है निधि…………….
माना जा रहा है कि यह व्यवस्था लागू होने से रिश्वत लेने वालों को पकड़वाने के लिए आगे आएंगे। बता दें कि प्रदेश में 500 से 700 अधिकारी, कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता है। रिश्वत की राशि प्रायः 10 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक होती है। ट्रैप के अधिकतर मामले लोकायुक्त पुलिस ही करती है, इसलिए अभी यहां यह व्यवस्था करने की तैयारी है। बाद में ईओडब्ल्यू में भी ऐसी निधि बनाई जा सकती है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई में भी अभी इस तरह की व्यवस्था नहीं है। वहां भी राशि केस का निपटारा होने तक फंसी रह जाती है।