वाराणसी में पकड़ा गया 8 टन चाइनीज़ लहसुन, किराना और सब्जी मंडियों में भी खपाने की तैयारी।
चाइनीज़ लहसुन की नेपाल के रास्ते वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में सप्लाई हो रही है। देशी लहसुन की अपेक्षा चाइनीज़ लहसुन कारोबारियों को सस्ता पड़ रहा है। सूत्रों की मानें, तो वाराणसी के आस-पास के जिलों में बीते एक महीने में 50 टन से अधिक चाइनीज़ लहसुन को खपाया जा चुका है। चाइनीज़ लहसुन से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए वर्ष 2014 में भारत सरकार ने देश में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार वाराणसी (उत्तर प्रदेश )।
वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री पहाड़ियों सब्जी मंडी में 8 टन से प्रतिबंधित चाइनीज़ लहसुन बरामद हुआ है। भारत में चाइनीज़ लहसुन 2014 से बैन है। मंडी सचिव विपुल कुमार को सूचना मिली थी कि कुछ व्यापारी अधिक मुनाफा के चक्कर में चाइनीज़ लहसुन का कारोबार कर रहे हैं। भारी मात्रा में लहसुन मंडी में मंगाया जा रहा है। गोपनीय सूचना पर मंडी सचिव विपुल ने पहाड़िया मंडी में दबिश दी। मौके पर एक ट्रक खड़ा मिला। तलाशी कराई गई तो उसमें बोरियों में लहसुन बरामद हुआ।
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बरामद लहसुन का वजन कराया गया तो वह 8 टन से अधिक निकला। बरामद लहसुन की क़ीमत 16 लाख रुपए बताई जा रही है। मंडी में मौजूद कारोबारियों से पूछा गया , लेकिन कुछ भी सामने नहीं आ पाया हैं। एक कारोबारी पर शक है उसे पूछताछ चल रही है। ट्रक के साथ ही चाइनीज़ लहसुन को भी जप्त कर लिया गया है।
पहाड़िया मंडी में आए चाइनीज़ लहसुन को वाराणसी के विश्वेश्वर गंज से लेकर पूर्वांचल के अन्य जिलों की सब्जी मंडी और किरानों की दुकानों में खपाने की तैयारी थी। सूत्रों की मानें, तो वाराणसी के आस-पास जिलों में बीते 1 महीने में 50 टन से अधिक चाइनीज़ लहसुन खपाया जा चुका है।
चाइनीज़ लहसुन से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए 2014 में भारत सरकार ने देश में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। चाइनीज़ लहसुन के सेवन से पेट आंत में सूजन की समस्या उत्पन्न होती है। लहसुन चमकदार और साइज में बड़ा मोटा होता है। सेहत के लिए ख़तरनाक लहसुन की एक कली चीन का लहसुन, देसी लहसुन की चार कलियां बराबर होती है। चाइनीज़ लहसुन की कलियां खिली हुई और मोटी होती है।
चाइनीज़ लहसुन में सिंथेटिक प्रोसेस का इस्तेमाल होता है। जिससे यह सफेद, साफ़ और चमकदार दिखता हैं। चाइनीज़ लहसुन को काटने पर गंध बेहद कम आती है। जबकि देसी लहसुन की गंध को काफ़ी दूर से भी सुंघा जा सकता है। देसी लहसुन को छीलने में परेशानी होती है। इसका छिलका हाथों में काफ़ी चिपकता है। चाइनीज़ लहसुन का छिलका हाथों में नहीं चिपकता है।
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