उत्तर प्रदेश पुलिस के कार्यशैली से नाराज़ देश की सर्वोच्च अदालत।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक मामले से निपटने के तरीके पर कड़ी असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने आज टिप्पणी की है कि यूपी में पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है। और उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है। जज ने आगे टिप्पणी की है कि राज्य पुलिस खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। चेतावनी दी है कि अगर कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता को छुआ गया तो कठोर आदेश पारित किया जाएगा।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार सुप्रीम कोर्ट (उत्तर प्रदेश )।
एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा – आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि वो छू गया। हम ऐसा कठोर आदेश दे देंगे कि सारी ज़िंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ़ एक नई FIR लेकर आते हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक मामले में निपटने के तरीके पर कड़ी असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने आज टिप्पणी की है कि यूपी में पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है। जज ने आगे टिप्पणी की है कि राज्य पुलिस खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और चेतावनी दी है कि अगर कोई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता को छुआ गया तो कठोर आदेश पारित किया जाएगा।
न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने मामले की सुनवाई की और पाया कि याचिकाकर्ता , इसके ख़िलाफ़ कहीं फिर दर्ज़ हैं। को डर है कि अगर वह जांच के लिए पेश हुआ तो उसके खिलाफ़ एक नया मुक़दमा दर्ज़ किया जाएगा।
ऐसे में यह निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी द्वारा उसके मोबाइल फ़ोन पर दिए गए किसी भी नोटिस का पालन करें। हालांकि, अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
अदालतने संबन्धित FIR में याचिका कर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। वह जांच में शामिल हो और सहयोग करें। आज वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी यूपी राज्य के लिए बताया है कि न्यायालय के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता नोटिस भेजा गया था। लेकिन वह जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ। इसके बजाय एक हलफनामा भेजा। यह सुनते हुए न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की है कि याचिका कर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके ख़िलाफ़ एक और झूठा मामला दर्ज़ कर देगी
वह शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा होगा क्योंकि उसे पता है कि आप कोई और झूठ के दर्ज़ करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे। आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही वह दुबे छू गया, हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि वह जिंदगी भर याद रहेगा। अभियोजन पक्ष कितने मामले में बरकरार रख सकता है। जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा उसे जांच में शामिल होने दे लेकिन उसे गिरफ्तार ना करें। अगर आप सच में सोचते हैं कि किसी खास मामले में गिरफ्तारी जरूरी है तो हमें बताइए कि यह कारण है क्या?
लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं तो आप हमसे यह ले लीजिए, हम न सिर्फ उन्हें निलंबित करेंगे बल्कि कुछ और भी खोना पड़ेगा।