यूपी में आकाशीय बिजली से 84 लोगों की मौत

अब बचाव के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करेगी यह काम।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार  लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।  उत्तर प्रदेश में मानसून के दस्तक देने के साथ ही आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया है। वहीं अब इन मौतों के मामलों में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में अब मौतों से बचाव के लिए योगी सरकार ने जल्द आकाशीय बिजली की पहचान एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई है। लाइटनिंग अलर्ट मैनेजमेंट सिस्टम प्रणाली पूरे प्रदेश में तीन चरणों में स्थापित की जाएगी।

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राहत विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस महीने अभी तक आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 84 लोगों की मौत हुई है। जिनमें से 43 लोगों की जान 10 जुलाई को शाम 6:30 बजे से 11 जुलाई के शाम 6:30 बजे तक गई। मृतकों की यह संख्या पिछले वर्ष के मानसून में आकाशीय बिजली से हुई मौतों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले वर्ष आकाशीय बिजली से 41 लोगों की मृत्यु हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश उन राज्यों में से एक है। जहां आकाश से बिजली से सबसे अधिक मौतें हुई हैं। मौसम विभाग लखनऊ के निदेशक डॉक्टर मनीष रानालकर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आकाशीय बिजली से हुई मौतों को देखते हुए हम आकाशीय बिजली पहचान प्रणाली स्थापित करने जा रहे हैं।

रानालकर ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिए गए निर्देशों के बाद टाइम आफ अराइवल प्रौद्योगिकी पर आधारित इस प्रणाली को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। भारतीय मौसम विभाग फिलहाल रडार आधारित प्रणाली और सैटेलाइट डाटा पर निर्भर है। जो एक क्षेत्र में आकाशीय बिजली के संभावना के बारे में चेतावनी देता है, और इसे रियल टाइम चेतावनी के तौर पर ही माना जाता है।

रानालकर ने कहा कि टी ओ ए आधारित प्रणाली एक क्षेत्र विशेष में आकाशीय बिजली का काम से कम 30 मिनट पहले पता लगा सकता है और चेतावनी दे सकता है। इस प्रणाली की स्थापना की अनुमानित लागत करीब 300 करोड रुपए होगी।

रानालकर ने कहा कि प्रथम चरण में इस साल के अंत तक इस प्रणाली को स्थापित कर चालू किए जाने की संभावना है। उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त नवीन कुमार ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि पहले चरण में यह प्रणाली प्रदेश के 37 जिलों में लागू की जाएगी। उनके अनुसार इसके बाद दूसरे चरण में 20 और तीसरे चरण में 18 जिलों में इसे लागू किए जाने की संभावना है।

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