यूपी के इस जिले में होते हैं सबसे ज्यादा साइबर क्राइम, नोएडा से भी बुरा हाल।

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश साइबर अपराध के मामलों में शीर्ष पर हैं। 2022 से अगस्त 2024 के बीच देश में कुल 38.85 लाख साइबर अपराध कोर्स दर्ज की गई। यूपी पुलिस ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए अब तक 1.16 लाख से अधिक फर्जी मोबाइल नंबर ब्लॉक किए हैं।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार ग्रेटर नोएडा (नई दिल्ली)। भारत में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। जिससे हजारों लोग अपनी मेहनत की कमाई गवां रहे हैं। आईआईटी कानपुर से जुड़े “फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन” की हाल रिपोर्ट के अनुसार देश में धोखाधड़ी घटनाएं केवल चार राज्यों के 10 जिलों में हो रही है।

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इस सूची में राजस्थान का भरतपुर सबसे ऊपर है। जबकि उत्तर प्रदेश के मथुरा‌ का दूसरा स्थान है। यह जिले साइबर अपराध का गढ़ बन चुके हैं। जहां ओटीपी फ्रॉड, केवाईसी स्कैम, फर्जी कॉल और ओएलएक्स फ्रॉड जैसे मामले व्यापक रूप से सामने आ रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश साइबर अपराध के मामलों में शीर्ष पर है। 2022 से अगस्त 2024 के बीच देश में कल 38.85 लाख साइबर अपराध कॉल दर्ज की गई है। जिनमें से 6.05 लाख कॉल्स उत्तर प्रदेश से थी। इन मामलों में‌ ठगी की कुल राशि 3,153 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा धोखाधड़ी मोबाइल कनेक्शन के द्वारा की जा रही है। यूपी पुलिस ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए अब तक 1.16 लाख से अधिक फर्जी मोबाइल नंबर ब्लॉक किए हैं ।

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‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम नई चुनौती…………..

साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट नामक नहीं तकनीक अपनाई है। जिसमें वह खुद को पुलिस या अन्य कानूनी एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं कि वह किसी अपराध में शामिल है और तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की धमकी देते हैं। विशेषज्ञों का मानना  है कि यह एक खतरनाक फ्रॉड है, क्योंकि अपराधी डर और भ्रम का फायदा उठाकर पीड़ितों से पैसे ठगते हैं।

साइबर अपराधियों तक पहुंचना चुनौती………….

साइबर अपराधी पटना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अधिकांश धोखाधड़ी कॉल व्हाट्सएप और अन्य VOIP सेवाओं के माध्यम से की जाती है। जिनका पता लगाना कठिन होता है। अपराधी विदेश सरवर का इस्तेमाल करते हैं। जिससे पुलिस के लिए अपराधी तक पहुंचना और उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। धोखाधड़ी के बाद आरोपी रकम को तेजी से कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं या क्रिप्टोकरेंसी में बदल देते हैं। जिससे उनके पकड़ में आने की संभावना कम हो जाती है।