यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत विधायक मुख्तार अंसारी ने अपनी सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
मुकेश कुमार (क्राइम ऐडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर एक्ट के तहत माफिया विधायक मुख्तार अंसारी ने अपनी सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने विधायक मुख्तार अंसारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कहा है, कि वह एक खूंखार अपराधी है और उसके खिलाफ इतने सारे मामले दर्ज हैं, कि यूपी सरकार ने कहा कि उसने राज्य में आतंक का माहौल पैदा कर दिया था। ऐसी याचिका में यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत विधायक मुख्तार अंसारी ने अपनी सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मुख्तार अंसारी की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की गई है। इस मामले में अब कोर्ट 2 अप्रैल को सुनवाई करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि वह एक कुख्यात अपराधी है। मुख्तार ने राज्य में आतंक का माहौल पैदा कर दिया था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी को साल 2003 में जेलर को धमकाने और रिवाल्वर तानने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सजा सुनाई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को इस मामले में 7 साल की सजा सुनाई थी। मुख्तार अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के मामले में निचली अदालत के फैसले के बारे में आपको बता दें, कि ट्रायल कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलट दिया और उन्हें दोषी ठहराया और 7 साल की सजा की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक मुख्य मुख्तार अंसारी को दोषी ठहरने के यूपी कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
मुख्तार अंसारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 21 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ पीठ ने गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को एक जेलर को जान से मारने की धमकी देने और उसे पर पिस्टल तानने के आरोप में 7 साल जेल की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने अंसारी को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। मामला 2003 का है जब लखनऊ जिला जेल के जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग पुलिस में एक एफआईआर दर्ज कराई थी।
जिसमें आरोप लगाया गया था, कि मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें धमकी दी गई थी। अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्तार अंसारी ने उन पर पिस्तौल तान दी थी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। हाई कोर्ट ने अंसारी को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उसकी छवि एक खूंखार अपराधी और माफिया डॉन की है। जिसके खिलाफ जघन्य अपराधों के 60 से अधिक मामले दर्ज थे।
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