ट्रंप को बहुमत मिला, फिर राष्ट्रपति बनेंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सीधा उम्मीदवारों को वोट नहीं किया जाता है, बल्कि उनकी जगह इलेक्टर्स चुने जाते हैं जो राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर चुनाव लड़ते हैं।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार एजेंसी (नई दिल्ली)। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहले राष्ट्रपति जो हारकर फिर जीते, कमला कड़ी टक्कर के बाद भी हारीं। डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्हें 50 राज्यों की 538 में से 277 सीटें मिली हैं, बहुमत के लिए 270 सीटें जरूरी होती है। डेमोक्रेटिक पार्टी की कैंडिडेट कमला हैरिस कड़ी टक्कर देने के बावजूद 224 सीट ही जीत पाई।

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ट्रंप 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे। और 2020 में जो बाइडेन से हार गए थे। ताजा नतीजे के बाद ट्रंप दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहले राजनेता है जो 4 साल के गैप के बाद दोबारा से राष्ट्रपति बनेंगे। 

वहीं, अमेरिका इतिहास में ट्रंप पहले लीडर है जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में दो बार महिला उम्मीदवारों को हराया है। अमेरिका में ऐसा सिर्फ दो बार 2016 और 2024 में हुआ है। जब वहां महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी थी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सीधा उम्मीदवारों को वोट नहीं किया जाता है। बल्कि उनकी जगह इलेक्टर्स चुने जाते हैं। जो राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर चुनाव लड़ते हैं। हर राज्य में  इलेक्टर्स की संख्या तय होती है।

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आमतौर पर जिस राज्य में राष्ट्रपति प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं। तो उसे राज्य के सारी सीटें उसी को मिल जाती हैं। जैसे कि पेन्सिलवेनिया में  इलेक्टोरल वोट्स है। अगर रिपब्लिकन पार्टी ने 9 वोट्स और डेमोक्रेटिक पार्टी ने 8 वोट्स हासिल किया तो ज्यादा वोट‌ लाने की वजह से सभी 19 इलेक्टोरल वोट्स रिपब्लिकन पार्टी के हो जाएंगे। अमेरिका के  48 राज्य में यही चलन है। नेब्रास्का और मेन राज्य में अलग व्यवस्था है। इन राज्यों में जो पार्टी जितने इलेक्टोरल वोट्स हासिल करते हैं‌। उन्हें उतनी सीटें मिलती हैं। जैसे कि इस चुनाव में ट्रंप को एक और कमला हैरिस को एक इलेक्टोरल वोट यानी 1-1 सीट हासिल हुई है।