तपस्वी नेतृत्व ने महाकुंभ को बनाया दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन : डॉ. भबातोष विश्वास
एमपीपीजी कॉलेज में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
रिपोर्ट : दिनेश चंद्र मिश्रा
गोरखपुर। कोलकाता चिकित्सा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोलकाता के वरिष्ठ कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जन डॉ. भबातोष विश्वास ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सक्षम नेतृत्व और उत्कृष्ट प्रबंधन ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 को अभूतपूर्व बना दिया है। यह आयोजन अब तक का सबसे भव्य और सुव्यवस्थित महाकुंभ बन चुका है, जिसे युगों तक याद रखा जाएगा। उन्होंने इसे सनातन परंपरा की एक अद्वितीय मिसाल बताते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पटल पर स्थापित कर रहा है।
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डॉ. विश्वास महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ के कला संकाय द्वारा आयोजित ‘महाकुंभ 2025 : परंपरा, अनुष्ठान और महत्ता’ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने महाकुंभ की आध्यात्मिक एवं सामाजिक एकता पर जोर देते हुए कहा कि यह आयोजन जाति, धर्म और वर्ग से परे मानवता की एकता का प्रतीक है।
सीएम योगी के नेतृत्व में महाकुंभ को मिली वैश्विक पहचान
डॉ. विश्वास ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रभावी प्रशासन ने महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को नए आयाम दिए हैं। इस आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की है, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त किया है। अनुमानों के अनुसार, महाकुंभ 2025 से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को करीब तीन लाख करोड़ रुपये का लाभ होगा।
प्रयागराज महाकुंभ: सनातन परंपरा की गौरवशाली धरोहर
महाशिवरात्रि स्नान से पहले ही 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच चुके थे, जो इस आयोजन की विशालता को दर्शाता है। दुनियाभर से श्रद्धालु यहां आकर उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं से प्रभावित हुए हैं।
महाकुंभ: सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि का केंद्र
विशिष्ट अतिथि प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, आचार्य रक्षा अध्ययन विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, ने महाकुंभ के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों पर चर्चा करते हुए बताया कि इस आयोजन से होटल, परिवहन, पर्यटन और स्थानीय कारीगरों को अत्यधिक लाभ हुआ है। सरकार द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देकर छोटे व्यवसायों को भी आर्थिक मजबूती दी गई है।
प्रो. सिन्हा ने बताया कि इस बार महाकुंभ में डिजिटल भुगतान प्रणाली को प्राथमिकता दी गई, जिससे छोटे व्यापारियों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ हुई है। 2019 के अर्धकुंभ में जहां सवा लाख करोड़ रुपये का आर्थिक लेनदेन हुआ था, वहीं इस बार यह आंकड़ा तीन लाख करोड़ के पार जाने की संभावना है।
महाकुंभ: वैश्विक शोध और अध्ययन का केंद्र
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. ओमजी उपाध्याय ने महाकुंभ को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करने वाला आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यूनेस्को द्वारा इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिलने के बाद इसकी वैश्विक पहचान और भी बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह एक ऐसा आयोजन है, जहां बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के करोड़ों लोग एकत्र होते हैं। यहां प्रशासनिक दक्षता और जनसहभागिता का अद्भुत तालमेल देखने को मिलता है।
पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी नवाचार से सुसज्जित महाकुंभ
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि इस बार महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण को विशेष प्राथमिकता दी गई है। ‘हर घर से एक थैला, एक थाली’ अभियान के तहत 500 से अधिक संस्थाएं गंगा की स्वच्छता और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में योगदान दे रही हैं।
तकनीकी नवाचार के रूप में एआई-संचालित चैटबॉट 11 भाषाओं में श्रद्धालुओं को महाकुंभ की संपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहा है। इससे विदेशी पर्यटकों को भी सुविधा मिल रही है।
विश्व पटल पर बढ़ी उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठा
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने समापन सत्र में कहा कि प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता ने उत्तर प्रदेश को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह आयोजन पूरे विश्व में एक मिसाल बन चुका है।
इस अवसर पर संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सुबोध कुमार मिश्रा ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जबकि संचालन सहायक आचार्य रमाकांत दूबे ने किया।
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