श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले पर एससी 5 नवंबर को करेगा सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दी है याचिका।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले महीने ही श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में अपना एवं फैसला सुना दिया है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया था।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार (नई दिल्ली)। मथुरा के श्रीकृष्णा जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीमकोर्ट 5 नवंबर को सुनवाई करेगा। शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से इस मामले में तीन याचिकाएं दी गई है। कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष की तरफ से दाखिल इन याचिकाओं में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उसे फैसले को चुनौती गई है, जिसमें हिंदू पक्ष की ओर से दायर मुकदमे को सुनवाई लायक माना गया था। मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

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जिसमें मथुरा की निचली अदालत में चल रहे सभी मुकदमों को हाई कोर्ट द्वारा अपने सनी करने के लिए ट्रांसफर करने का फैसला शामिल है। सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के उस फैसले को भी चुनौती दी गई है। जिसके तहत इसी विवाद से जुड़े सभी 15 मुकदमा को एक साथ जोड़कर  सुनवाई  फैसला लिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले महीने ही श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में अपना एवं फैसला सुना दिया है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया था। इससे पहले हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबरको सभी मुकदमा में अलग-अलग मांग की गई थी।

मुस्लिम पक्ष ने 11 जनवरी 2024 के उसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ दाखिल किए गए 15 याचिकाओं से संबंधित मुकदमों को तलब कर सुनवाई किए जाने का फैसला दिया था। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहां गया था कि सभी मुकदमों में अलग-अलग मांग की गई थी।

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हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी का विरोध भी किया और कहा था कि सभी मुकदमों में एक ही मांग की गई है‌। मुस्लिम पक्ष ने श्री कृष्णा जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद से जुड़ें मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने के आदेश को हाईकोर्ट से वापस लेने की प्रार्थना की थी। सभी पक्षों की तरफ से रिकॉल अर्जी पर अपनी दलीलें पेश की गई थी। इसके बाद 16 अक्टूबर को कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दलीलें दी थी कि सभी वादों का मुद्दा एक है तो अलग-अलग सुनने का कोई औचित्य नहीं है। इसके बाद वादों की पोषणीयता पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को 2024 को हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए अपना फैसला सुनाते हुए, मुस्लिम पक्ष द्वारा सीपीसी के ऑर्डर 7 रूल 11 में दाखिल आपत्ति को खारिज कर दिया था।