शालिनी सिंह पटेल, संघर्ष और साहस की मिसाल।
उनके बारे में शिक्षा तो गांव में पूरी हो गई थी। लेकिन आगे पढ़ाई के लिए स्कूल की कमी ने उनकी राह में बाधा खड़ी कर दी थी। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए 14 किलोमीटर की दूरी योजना पैदल तय की है। साधनों की कमी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और साबित किया कि मजबूत इच्छा शक्ति के सामने कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती है। लेकिन उनकी यह हिम्मत कुछ ताकतवर लोगों को रास नहीं आई। इसके परिणाम स्वरूप उन्हें जेल भेज दिया गया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार बांदा उत्तर प्रदेश।
बांदा की धरती में हमेशा से संघर्षशील व्यक्तित्व को जन्म दिया है। ऐसे ही एक प्रेरणा दायक गाथा है, शालिनी सिंह पटेल की। उनका जीवन संघर्ष और सास के अनोखी मिसाल है। उनका जीवन बचपन में छाया कठिनाइयों का साया, शालिनी का बचपन कठिनाइयों से भरा रहा। उनके पिता का हाथ एक दुर्घटना में कट गया था। लेकिन वह विपत्ति नहीं रुकी। कुछ वर्षों बाद कैंसर के कारण उनके पिता का निधन हो गया।
परिवार की स्थिति पहले से ही कमजोर थी और एक भाई की राजनीति साज़िश के तहत हुई दुर्घटना में पूरे परिवार को बेसहारा कर दिया।
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शिक्षा के लिए संघर्ष…….
ऐसे कठिन हालातो के बावजूद शालिनी ने हार नहीं मानी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तो गांव में ही पूरी हो गई थी। लेकिन आगे पढ़ाई के लिए स्कूल कमी ने उनकी राह में बाधा खड़ी कर दी थी। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए 14 किलोमीटर की दूरी रोजाना पैदल तय की है। साधनों की कमी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी, और साबित किया है कि मजबूत इच्छा शक्ति के सामने कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती है।
पत्रकारिता और जेल…….
शालिनी सिंह पटेल ने अपने संघर्ष की राह में पत्रकारों के मुद्दों को उठाकर आवाज बुलंद की है। लेकिन उनकी यह हिम्मत कुछ ताकतवर लोगों को रास नहीं आई। इसके परिणाम स्वरूप उनको जेल भेज दिया गया है। जेल की दीवारें भी उनके साहस को डिगा नहीं सकी।
राजनीति में कदम और जेडीयू से जुड़ाव………..
जेल से निकलने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) को ज्वाइन किया। शालिनी राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। अपने संघर्ष और जनता के लिए किए गए कामों के बदौलत वह बांदा और आस-पास के क्षेत्रों में एक मजबूत ब्रांड बन गई है।
जनता की आवाज़ और मददगार चेहरा……..
शालिनी सिंह पटेल अब हर पीड़ित के साथ खड़ी होती है। चाहे किसी को न्याय दिलाने की बात हो या जरूरतमंदों की मदद करने की। शालिनी हर बार आगे रहती है। उनका कहना है कि “मैंने जीवन में जो भी कठिनाइयां देखीं है, उन्होंने मुझे मजबूत बनाया है। अब मैं चाहती हूं कि कोई और उन मुश्किलों से न गुज़रे।” बांदा से निकल कर देश- विदेश में नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला।
अकेली महिला जो बांदा बुंदेलखंड से शालिनी सिंह पटेल रही आज शालिनी सिर्फ बांदा के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। उनका जीवन यह दिखाता है कि उनके मजबूत इच्छा शक्ति और हिम्मत से कोई भी मुश्किल राह आसान बनाई जा सकती है।
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