सेवानिवृत्त नायब तहसीलदारों से वसूली पर हाई कोर्ट में लगाई रोक।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता करौली ज़िले की सपोटरा तहसील मैं गिरदावर के पद पर कार्यरत थे। उन्हें बाद में कार्य व्यवस्था के तौर पर नायब तहसीलदार पद की जिम्मेदारी दी है। वह अपना कार्य नियमित तौर पर करते रहे हैं। इस दौरान दो से चार साल पहले वह अपने पदों से रिटायर हो गए हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार जयपुर (राजस्थान )।
राजस्थान हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त नया तहसीलदारों और गिरदावरों के ख़िलाफ़ निकाली गई राशि की वसूली पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव, पेंशन निदेशक सहित तहसीलदार सपोटरा से जवाब देने के लिए कहा है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश नूरुद्दीन और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता करौली जिले के सपोटरा तहसील में गिरदावर के पद पर कार्यरत थे। उन्हें बाद में कार्य व्यवस्था के तौर पर नायब तहसीलदार पद की जिम्मेदारी दी है। वह अपना कार्य नियमित तौर पर करते रहें। इस दौरान दो से चार साल पहले अब अपने पदो से रिटायर हो गए। इस बीच तहसीलदार सपोटरा ने नवंबर 2024 मैं उन्हें बिना कोई नोटिस और सुनवाई का मौका दिए उनके सेवा काल में रहने के दौरान की यात्रा भत्ता बिलों को अनियमित भुगतान माना। उन्हें इस राशि की वसूली का आदेश जारी कर दिया।
इसे याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा है कि वसूली आदेश से पहले उनसे ना तो कोई स्पष्टीकरण मांगा है, और ना ही स्पष्ट किया गया है कि यह राशि कौन से समय की है? वहीं राज्य सरकार ने समय-समय पर परिपत्र जारी कर रखे हैं कि रिटायर कर्मचारियों से 3 साल पहले के मामलों में कोई जांच कार्यवाही नहीं होंगी। इसलिए उनसे होने वाली राशि की वसूली पर रोक लगाई जाए। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने रिकवरी पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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