एसडीएम बेख़बर, पेशकार 6 साल से सुन रहा था फर्जी फैसले।
रामराज ने लिखा कि ग्राम सभा कैथवल के तीन राजस्व मुकदमों को पेशकार ने एसडीएम कोरांव के फर्जी हस्ताक्षर कर निस्तारित किया है। जांच में पता चला है कि पेशकार वर्षों से यह खेल खेल रहा है। जिन मुकदमों में पीठासीन अधिकारी ने कोई निर्णय लिया। हस्ताक्षर भी नहीं किए। उन्हें पेशकार ने जारी रख दिया है। ऐसा सिर्फ 3 जुलाई 8 अगस्त 2024 को ही नहीं हुआ बल्कि दूसरी तिथियां में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार ……नई दिल्ली……
एसडीएम कोर्ट के पेशकार ने राजस्व के सैकड़ो मुकदमे एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से निपटा डालें। जांच में 6 साल पुराने फैसले पकड़े गए हैं। जिम उसने मनचाहे आपत्तियां लगाई और स्टे आदेश दिए हैं। इस बीच कहीं अवसर आए गए, किसी को ख़बर ही नहीं हुई। पेशकार को न्यायिक कार्यसे हटाते हुए एसडीएम ने डीएम से कार्यवाही की सिफारिश की है।
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कोरांव एसडीएम कोर्ट में लंबे समय से पेशकार हनुमान प्रसाद कब से एसडीएम की फर्जी हस्ताक्षर बनाकर फैसला जारी कर रहा था, इसकी विस्तृत जांच होनी बाकी है।
एसडीएम मदन कुमार की शुरुआती जांच में दर्जनों मामले की फर्जी आर्डर शीट पकड़ी गई है। इस खेल का खुलासा हुआ है कि अयोध्या गांव निवासी रामराज मिश्र की शिकयत से।
रामराज ने लिखा है कि ग्राम सभा कैथवल के तीन राजस्व मुक़दमों को पेशकार ने एसडीएम कोरांव के फर्जी हस्ताक्षर कर निस्तारित किया है। जांच में पता चला है कि पेशकार वर्ष से यह खेल खेल रहा है। जिन मुक़दमे में पीठासीन अधिकारी ने कोई निर्णय नहीं लिया। हस्ताक्षर भी नहीं किए हैं। उन्हें पेशकार ने जारी कर दिया हैं।
ऐसा 3 जुलाई, 8 अगस्त, 2024 कोई नहीं हुआ बल्कि दूसरी तिथियों में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। कंप्यूटर की ऑर्डर सीट में भी छेड़छाड़ मिली है। 2 नवंबर 2018 की आर्डर शीट पर लिखा है कि दोनों पक्षों की सहमति से पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित की गई है। लेकिन इसमें न वादी के हस्ताक्षर है न प्रतिवादी के।
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दोनों पक्षों की अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर भी नहीं पाए गए हैं। 5 नवंबर 2018 के टाइप आदेश पर ओवरराइटिंग करके आपत्ति लगाई गई है। 3 जुलाई 2024 को रामनायक बनाम मिश्रीलाल के मुक़दमे में इसका स्थगन आदेश पर भी एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से आपत्ति लगाई गई है।
16 दिसंबर 2022 को एक न्यायिक मामले में लेखपाल का बयान दाखिल नहीं किया गया है। लेकिन इसका फर्जी उत्तर जारी कर दिया गया है। पेशकार के कारनामे सामने आने पर एसडीएम ने उसे 3 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने से साफ है कि पेशकार पर लगाए गए आरोप सत्य और मान्य हैं। पेशकार हनुमान प्रसाद का कृत्य उत्तर प्रदेश कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत तो है ही उच्च अधिकारियों की ओर से दिए गए आदेशों की अवहेलना भी है। एसडीएम ने डीएम को रिपोर्ट भेजते हुए कार्यवाही की स्तुति की है।
मंत्री संसद के लिखने पर भी नहीं हुई थी कार्यवाही……….
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने पेशकार हनुमान प्रसाद के ख़िलाफ़ फर्ज़ी फ़ैसला जारी करने की शिकायत आने पर 2 अगस्त को डीएम को कार्यवाही करने के लिए लिखा था। इलाहाबाद सांसद उज्जवल रमण सिंह, मेरे पेशकार को हटाने के लिए डीएम कार्यालय को पत्र लिखा। लेकिन मंत्री संसद तक की स्तुतियां दबा दी गई है।
एसडीएम ने पेशकार के ख़िलाफ़ कार्यवाहीं की स्तुति की है। मैंने बीती 9 जुलाई को ही कोरांव का कार्य भार ग्रहण किया है। जिन पत्रावलियों में हेरा फेरी की गई है। वह पूर्व भारती अधिकारियों के अधिकारी कार्यकाल की है।