सरकारी नौकरी में कुछ नहीं रखा! इससे अच्छा तो पानी-पुरी वाला, तहसीलदार ने भरी सभा में ऐसा क्यों कहा?

कृष्णमूर्ति ने कहा कि ठेला चलाने वाले दबाव से मुक्त होकर खुशहाल जीवन जीते हैं। वे छुट्टियों पर जाते हैं शांति से घर लौट सकते हैं और अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। इससे उलट सरकारी अधिकारी लगातार तनाव का सामना करते हैं। यहां तक की अपने परिवारों को मंदिर भी नहीं ले जा पाते हैं। प्रौद्योगिकी ने हमारे काम का बोझ कम करने के बजाय बढ़ा दिया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।

लोग अक्सर प्राइवेट नौकरी के बाजार सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन, कर्नाटक में मामला उल्टा हैं। यहां एक तहसीलदार ने सरकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों पर पड़ने वाले भारी दबाव पर नाराजगी व्यक्त की हैं। उन्होंने ऐसी टिप्पणी कर दी है कि जिसने सोशल मीडिया पर नई बहस को जन्म दे दिया है। तहसीलदार का कहना है कि सरकारी नौकरी में कुछ नहीं रखा है, हमसे ज़्यादा तो पानी -पुरी का ठेला लगाने वाला हैं। उसकी कमाई भी हमसे ज़्यादा हैं।

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होलेनरसीपुर के तहसीलदार के के कृष्णमूर्ति ने तालुका राज्य सरकारी कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा है कि पानी -पुरी या मंचूरियन ठेला लगाना हमसे बेहतर हैं। कृष्णमूर्ति ने कहा है कि ठेला लगाने वाले दबाव से मुक्त होकर खुशहाल जीवन जीते हैं। वह छुट्टियों पर जा सकते हैं। शांति से घर लौट सकते हैं। और अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। इससे उलट सरकारी अधिकारी लगातार तनाव का सामना करते हैं, यहां तक के अपने परिवारों को मंदिर भी नहीं ले जा पाते हैं।

उन्होंने आगे कहा है कि प्रौद्योगिकी ने हमारे काम का बोझ कम करने के बजाय और बढ़ा दिया है। वरिष्ठ अधिकारी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से उनकी निगरानी करते हैं और उसी दिन परिणाम मानते हैं। जांच के नाम पर धमकाया जाता है।

गांव के लेखाकार प्रतिशोध के डर से अपने संघर्षों को आवाज़ नहीं दे पाते हैं‌। और शिक्षक शिक्षा पर ध्यान देने के बजाय बच्चों को अंडे और नाश्ता वितरित करने जैसी सरकारी योजनाओं के बोझ तले दबे हैं।

बीमारी के शिकार, जल्दी रिटायरमेंट भी………..

तहसीलदार ने हाई ब्लड प्रेशर तथा किडनी और लीवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए अधिकारियों के स्वास्थ्य पर पढ़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया है कि असहनीय दबाव के कारण वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर विचार कर रहे हैं।

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