सरकारी अस्पताल में निजी डॉक्टर करेंगे इलाज, मरीजों को फ्री में मिलेगी स्पेशलिस्ट की सुविधा।

प्रदेश में आधे से अधिक सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी विषय की विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में मरीज को भारती ही नहीं किया जाता। उदाहरण के तौर पर हड्डी का डॉक्टर है, लेकिन एनेस्थीसिया का नहीं है तो सर्जरी नहीं हो सकती। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच तरह के विशेषज्ञ होने चाहिए।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक में आयुष्मान योजना के अंतर्गत आने वाले अधिकतर रोगियों का उपचार अब वहीं पर हो जाएगा। उन्हें मेडिकल कॉलेज या दूसरे बड़े अस्पताल में रेफर करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके लिए राज्य सरकार नीति बना रही है, जिसमें किसी विशेषज्ञता के डॉक्टर नहीं होने पर निजी डॉक्टरों को बुलाया जा सकेंगा।

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अभी भर्ती होने वाले मरीज को मिलेगी अस्पतालों में। अभी यह सुविधा मात्र भर्ती होने वाले मरीजों को मिल पाएगी। बाद में ओपीडी मरीजों के लिए भी इसका विस्तार किया जा सकता है। निजी डॉक्टरों को उपचार के बदले प्रति विजिट के हिसाब से राशि दी जाएगी। यह राशि आयुष्मान कार्ड भारत योजना के पैकेज से उपलब्ध कराई जाएगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल और जिला अस्पतालों के रोगियों को इसका लाभ मिल सकेगा। प्रदेश की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या आयुष्मान योजना की परिधि में है, जिन्हें इसका लाभ मिल सकेंगा।

मेडिसिन ,सर्जरी ,स्त्री एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग और एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ मिलाकर कुल 826 पद हैं। इनमें 400 से अधिक रिक्त हैं।

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सर्जरी के साथ ही कई बीमारियों में एक साथ दो से तीन विषय के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, पर एक के भी नहीं होने से मरीज को रेफर करना पड़ जाता है।

एक सर्जरी के लिए कई तरह के विशेषज्ञ डॉक्टर की आवश्यकता होती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिलाकर 140 अस्पतालों में ही सीजर डिलीवरी की सुविधा है। देश भर में मध्य प्रदेश की शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक होने के बाद यह स्थिति है। संसाधन होने के बाद भी विशेषज्ञ नहीं होने से सीजर डिलीवरी नहीं हो पा रही है। हमारी कोशिश है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिला अस्पतालों की तरह सुविधाएं मिलें। इन अस्पतालों में जांचों और दवाओं की भी संख्या बढ़ाई गई है। ऐसा प्रयास कर रहे हैं कि बड़ी मजबूरी ना हो तो उन्हें रेफर नहीं करना पड़े।