राष्ट्रीय किसान मेला में सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र की अनूठी कलाकृति बनी आकर्षण

बिहार के जीआई टैग उत्पादों पर बनी रेत कलाकृति ने किसानों को किया जागरूक

रिपोर्ट : अजय कुमार : भागलपुर : बिहार। बिहार के धरोहर उत्पादों को पहचान दिलाने और किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने अपनी अनूठी कलाकृति के जरिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने राष्ट्रीय किसान मेला 2025 के दौरान रेत पर ‘हर भारतवासी के थाल में बिहार का एक व्यंजन’ उकेरकर बिहार के कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रयास किया। उनकी यह कलाकृति महोत्सव का मुख्य आकर्षण बनी और इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।

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24 घंटे की मेहनत, बिहार की पहचान

Sand artist Madhurendra's unique artwork became attraction at National Kisan Melaसैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बीएयू परिसर, सबौर (भागलपुर) में आयोजित किसान मेले के सांस्कृतिक मंच के पास एक ट्रक रेत पर 10 फीट ऊंची भव्य कलाकृति तैयार की। इसमें उन्होंने मिथिला मखाना, मगही पान, भागलपुरी जर्दालू आम, शाही लीची और कतरनी चावल जैसे बिहार के जीआई टैग प्राप्त उत्पादों को उकेरा। इस कलाकृति के जरिए उन्होंने किसानों को जीआई टैग के महत्व के बारे में जागरूक किया और उनके हक के लिए आवाज उठाने का संदेश दिया।

गवर्नर ने की सराहना, लोग हुए मंत्रमुग्ध

राष्ट्रीय किसान मेले में आए गवर्नर सहित कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह, निदेशक डॉ. आर.के. सुहाने और अन्य अधिकारियों ने मधुरेंद्र की कलाकृति की जमकर सराहना की। हजारों किसानों और आम लोगों ने इस कलाकृति के साथ तस्वीरें खिंचवाईं और इसे एक प्रेरणादायक पहल बताया।

बिहार के किसानों को मधुरेंद्र का संदेश

मधुरेंद्र ने अपनी कलाकृति के माध्यम से किसानों को यह संदेश दिया कि बिहार के उत्पादों को पूरे देश में पहचान मिलनी चाहिए और हर थाली में बिहार का एक व्यंजन होना चाहिए। उन्होंने अपनी इस रेत कलाकृति के जरिए किसानों के अधिकारों और उनकी मेहनत को सम्मान देने की बात कही।

होली की शुभकामनाएं और कला के जरिए जागरूकता

मधुरेंद्र ने इस कलाकृति के माध्यम से अपने प्रशंसकों और बिहारवासियों को होली की शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनकी यह कला सिर्फ सजावट के लिए नहीं, बल्कि किसानों को जागरूक करने के लिए है। उन्होंने अतीत में भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी रेत कला के माध्यम से संदेश दिए हैं और इस बार यह प्रयास बिहार के किसानों के लिए समर्पित है।

बिहार की विरासत को मिला सम्मान

यह पहला मौका नहीं है जब मधुरेंद्र ने अपनी कला से समाज को जागरूक किया हो। वे कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी रेत कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। इस बार उनकी कला ने बिहार के जीआई टैग प्राप्त उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने और किसानों को गर्व महसूस कराने का काम किया है।

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