पिता के फ़ोन ना दिलाने पर नाराज़ 15 साल का किशोर, घर से दूर रहा और फुटपाथ पर सोया, होटल में धोएं बर्तन।
परिवार से पूछताछ की गई तो पुलिस को पता चला कि किशोर अपने परिजनों से मोबाइल दिलाने की मांग करता था। इसके साथ ही वह दोस्तों के साथ घूमने- फिरने की आज़ादी चाहता था। परिजनों ने न केवल मोबाइल दिलाने से मना कर दिया बल्कि उसकी गतिविधियों पर रोक भी लगा दी। नाराज़ होकर किशोर ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। उसके बाद वह घर छोड़कर चला गया। जोधपुर पुलिस की टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर किशोर का रूट मैप तैयार किया और शहर भर में उसकी तलाश शुरू की।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार जयपुर (राजस्थान )।
पिता ने 15 साल के बेटे को फ़ोन नहीं दिलाया तो बेटा घर छोड़कर चला गया। 16 दिन के बाद पुलिस उसे तलाश कर लेकर आई। घर आते ही परिवार से लिपटकर खूब रोया। खाता चलाने के लिए होटल पर मज़दूरी की, रेस्टोरेंट पर कप धोएं। मामला जोधपुर का है। परिवार और पुलिस ने अब राहत की सांस ली है। पूरा मामला सूरसागर थाना इलाके का है।
पुलिस ने बताया है कि इन दिनों लापता बच्चों व लोगों की तलाश के लिए ऑपरेशन उमंग चतुर्थ चल रहा है। इसी के तहत अलग से टीम में लगाई गई है जो लापता लोगों को तलाश कर रही है। 15 साल का जो किशोर घर छोड़कर गया वह 25 नवंबर को पिता की कंस्ट्रक्शन साइट देखने का बहाना बनाकर घर छोड़ा।
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लेकिन न वह साइट पर पहुंचा और न ही घर लौटा। परिजनों ने काफी खोजबीन के बाद जब कोई जानकारी नहीं मिली तो 26 नवंबर को सूरसागर थाने में अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़ अपहरण का मामला दर्ज़ करवाया।
किशोर अपने परिजनों से मोबाइल दिलाने की करता था मांग…………….
परिवार से पूछताछ की गई तो पुलिस को पता चला कि किशोर अपने परिजनों से मोबाइल दिलाने की मांग करता था। इसके साथ ही वह दोस्तों के साथ घूमने-फिरने की आज़ादी चाहता था। परिजनों ने ना केवल मोबाइल दिलाने से मना कर दिया बल्कि उसकी गतिविधियों पर भी रोक लगा दी। नाराज़ होकर किशोर ने घर छोड़ने का फ़ैसला कर लिया। उसके बाद वह घर छोड़कर चला गया। जोधपुर पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर किशोर का रुट मैप तैयार किया और शहर भर में उसकी तलाश शुरू की।
एक होटल पर की मज़दूरी………………
जब किशोर को दस्तयाब किया गया तो पता चला कि किशोर ने कुछ दिन चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में एक होटल पर मज़दूरी की। इसके बाद वह जयपुर चला गया और वह छोटे-मोटे काम कर अपना गुज़ारा करता रहा। कुछ दिन पहले ही वह जोधपुर लौटा और किराए का कैमरा लेकर रहने लगा। वह घर नहीं जाना चाहता था। ऊपर से स्कूल जाना ही बंद कर दिया। लेकिन पैसा तेजी से ख़त्म हो रहा था। आख़िर पुलिस ने उसे दस्तयाब कर लिया, और अब किशोर को परिजनों को सौंपा है। परिजनों ने पुलिस को धन्यवाद दिया और राहत की सांस ली।
यह घटना सिर्फ किशोर की नाराज़गी की कहानी नहीं है बल्कि परिवार और बच्चों के बीच संवाद की कमी पर भी सवाल खड़े करती है। आधुनिक तकनीक के प्रति बच्चों का आकर्षण माता-पिता की सीमाएं, दोनों के बीच ताल-मेल जरूरी है। इस घटना ने यह भी दिखाया है कि पुलिस और समाज के प्रयास मिलकर हर चुनौती का समाधान निकाल सकते हैं।
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