पाकिस्तान ने शांति के हर प्रयास का ज़वाब शत्रुता से दिया, लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में बोले – प्रधानमंत्री मोदी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, लेकिन शांति के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएंगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वह भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहते हुए थक गए होंगे। जहां मासूम बच्चों के मारे जाते हैं और अनगिनत जिंदगियां बर्बाद हो जाती है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लैक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि भारत की तरफ से शांति के हर प्रयास का जवाब पाकिस्तान ने शत्रुता और विश्वासघात से दिया। इस दौरान उन्होंने उम्मीद जताई है कि उसे सद्बुद्धि आएंगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।

उन्होंने यह भी कहा है कि भारतीय वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी सिखाया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी वही सिखाता है। पॉडकास्ट आरएसएस को लेकर उन्होंने कहा, मेरे मन में हमेशा एक ही लक्ष्य था, देश के काम आना। यही मझे संघ ने सिखाया है। आरएसएस की स्थापना के इस वर्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं।

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दुनिया में आरएसएस से बड़ा कोई स्वयंसेवी संगठन नहीं है। आरएसएस को समझना कोई आसान काम नहीं है। शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह पाकिस्तान का आमंत्रित किया था, लेकिन शांति के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला, हम पूरी उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वह भी संघर्ष, अशांति, और निरंतर आतंक में रहते हुए थक गए होंगे, जहां मासूम बच्चे भी मारे जाते हैं और अनगिनत जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं।

यह कूटनीतिक कदम था…………

प्रधानमंत्री ने पॉडकास्ट में कहा, यह कूटनीतिक कदम था, जो दशकों में नहीं देखा गया। जिन लोगों ने कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाया था, वह उस समय अचंभित रह गए। जब उन्हें पता चला है कि मैंने कई देशों के सभी राष्ट्रीय अध्यक्षों को आमंत्रित किया और हमारे तत्काल राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी उन्हें अपने संस्मरण में उसे ऐतिहासिक भाव को खूबसूरती से कैद किया है।

मोदी जी ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि भारत की विदेश नीति कितने स्पष्ट और आश्वस्त हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब भी शांति की बात करता है, तो आज दुनिया उसकी बात सुनती है, क्योंकि भारत गौतमबुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। उनकी ताकत उनके नाम में नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश के शाश्वत संस्कृति एवं विरासत के समर्थन में निहित हैं।

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