नेताओं से जजों की मुलाकात के फैसलों पर नहीं पड़ता कोई असर,(CJI) चंद्रचूड़ ने किया साफ।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सवाल किया गया कि बड़े न्यायिक अधिकारियों नेताओं के बीच गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, अन्य मोंको पर मुलाकात होती रहती है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार (नई दिल्ली)। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डिवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के प्रमुख जब को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं तो इन मुलाकातों से राजनीतिक परिपक्वता होती है। इससे न्यायिक कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है। सीजी ने यह भी कहा कि जब हम राज्य सरकार यह केंद्र सरकार के मुखिया से मिलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोई डील हो गई है।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से सवाल क्या गया कि बड़े न्यायिक अधिकारियों और राजनेताओं के बीच गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस या अन्य मौकों पर मुलाकात होती रहती है। इस सवाल का जवाब देते हुए सीजी आई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे पॉलीटिकल सिस्टम की परिपक्वता इसी पर निर्भर करती है कि जुडिशरी और उनके विचारों में काफी अंतर होता है।
सरकार प्रमुखों से बातचीत का मतलब कोई डील नहीं-
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि हमें न्यायिक कामकाज की वजह से राज्य के कम से बातचीत करनी होती है, क्योंकि वही न्यायपालिका के लिए बजट देते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने एक उदाहरण भी दिया है कि मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस था। और इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट के प्रशासनिक समिति में भी काम करता था। वही राज्य में परंपरा है कि जो पहली बार मुख्य न्यायाधीश बनता है तो वह कम से मिलता है। दूसरी बार मुख्यमंत्री चीफ जस्टिस से मिलते हैं। इन सभी मीटिंग का अलग-अलग एजेंडा होता है। सीजी आई ने कहा कि अदालत और सरकार के बीच का प्रशासनिक संबंध न्यायिक कार्यों से अलग है।
यह एक परंपरा है कि कम या चीफ जस्टिस त्योहार या शौक में एक- दूसरे से मिलते हैं। यह हमारे न्याय प्रक्रिया पर कोई असर नहीं डालता है।
जजों पर काम का बोझ- सीजे आई चंद्रचूड़-
कोर्ट में छुट्टियों को को लेकर उठने वाले सवालों पर सीजे आई ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि जजों पर काम का बहुत भोज है। उन्हें सोचने-विचारने कई समय चाहिए होता है क्योंकि उनके फैसले समाज का भविष्य तय करते हैं । क्या करते हैं उन्होंने आगे कहा कि मैं खुद रात को 3:30 बजे उठता हूं और सुबह 6:00 से अपना काम स्टार्ट कर देता हूं। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए के वहां के सुप्रीमकोर्ट 1 साल में 181 कैसे निपटाए जाते हैं। वही हमारे यहां पर लोग में ही इतने केस निपटा दिए जाते हैं। भारत का सुप्रीम कोर्ट हर साल करीब 50,000 केस निपटाता हैं।