नेहरू के “गुमशुदा पत्र” लौटाने की मांग, प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय में कांग्रेस नेता।
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर तीखे सवाल उठाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा है कि सोनिया गांधी ने 2008 में पात्रों को क्यों लिया और इन्हें अब तक क्यों नहीं लौटाया गया? संबित पात्रा ने कहा कि यह पत्र राष्ट्रीय धरोहर है और देश को यह जानने का हक है कि इन पत्रों में क्या लिखा है? उन्होंने यह भी पूछा है कि नेहरू और एडविना के बीच में संवादों में ऐसा क्या है जिसे छुपाया जा रहा है? कांग्रेस पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर भारत को पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक पत्र लौटने का अनुरोध किया हैं। यह पत्र नेहरू ने एडविना माउंटबेटन को लिखे थे, जो लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी थी। बताया जा रहा है कि यह पत्र 2008 में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपे गए थे। PMML समिति के सदस्य और इतिहासकार रिज़वान कादरी ने राहुल गांधी को यह पत्र लिखा। इससे पहले, सितंबर में कादरी ने सोनिया गांधी से पत्रों की वापसी, उनके प्रतियां देने या डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने का आग्रह किया था।
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रिज़वान कादरी का कहना है कि 2008 में सोनिया गांधी नेहरू जी से जुड़े रिकॉर्ड वाले 51 बक्से PMML से मंगवाए थे। इसमें जयप्रकाश नारायण, बाबू जगजीवन राम और एडविना माउंटबेटन को लिखे पत्र शामिल थे।
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पार्टी पर तीखे सवाल उठाए थे। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा है कि सोनिया गांधी ने 2008 में पत्रों को क्यों लिया? और इन्हें अब तक क्यों नहीं लौटाया गया? संबित पात्रा ने कहा है कि यह पत्र राष्ट्रीय धरोहर है, और देश को यह जानने का पूरा हक है कि इन पत्रों में क्या लिखा हैं? उन्होंने यह भी पूछा है कि नेहरू और एडविना के बीच हुए संवादों में ऐसा क्या है जिसे छुपाया जा रहा है?
हालांकि, कांग्रेस पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बीजेपी का कहना है कि PMML की प्रयासों के बावजूद कांग्रेस इन पत्रों को वापस करने से क्यों हिचकिचा जा रही हैं। यह पत्र ऐतिहासिक महत्व के हैं, क्योंकि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के निजी और राजनीतिक जीवन के अनछुए पहलुओं को और उजागर कर सकते हैं। एडविना माउंटबेटन और नेहरू के बीच का संवाद ब्रिटिश राजकीय समाप्ति और भारत विभाजन के समय का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हो सकता हैं।
PMML के लगातार प्रयासों के बाद सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी इन पत्रों को वापस करेंगे? इतिहासकारों और राजनीतिक विशेषज्ञों की नज़रें अब कांग्रेस के प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं। यह मुद्दा सिर्फ पत्रों की वापसी का नहीं है, बल्कि भारत के इतिहास की पूरी तस्वीर को सहेजने का है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस विषय पर खींचता होने की संभावना है। जबकि जनता और इतिहासकार इन पत्रों के रहस्य से पर्दा उठाने का इंतजार कर रहे हैं।
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