नहीं गई चीन की चालबाज़ी, भूटान में डोकलाम के पास बसाएं 22 गांव, भारत पर इसका कैसा असर?
भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित यह आठ गांव डोकलाम के पास रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान पर बने हैं। यह गांव एक घाटी से सटे हुए हैं जिन्हें चीन अपने अधिकार में बताता है। इनमें से कहीं गांव चीनी सैनी चौकियों के पास स्थित है। इन 22 गांव में सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है। जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है। इन गांव का निर्माण भारत के लिए चिंता कारण बन गया है। डोकलाम में चीन की स्थिति मज़बूत होने से सिलिगुरी कॉरिडोर जिसे 'चिकन नेक' भी कहा जाता है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार एजेंसी (नई दिल्ली )।
चीन अपनी चालबाज़ी से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ समझौतों को आगे बढ़ाने के बाद कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ डोकलाम के आस-पास गांव को बसाने में लगा है। चीन की इस चालबाजी का सेटेलाइट से लगाई तस्वीरों ने खुलासा किया है। आपको बता दे कि चीनी ने पिछले 8 वर्षों में भूटान के पारंपरिक क्षेत्र में कम से कम 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण किया है। सन् 2020 के बाद से डोकलाम पठार के पास आठ गांव का निर्माण किया है।
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भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में स्थिति यह आठ गांव डोकलाम के पास रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर बने हैं। यह गांव में घाटी से सटे हुए हैं। जिन्हें चीन अपने अधिकार में बताता है। इनमें से कई गांव चीनी सैन्य चौकियों के पास स्थित है। इन 22 गांव में सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है। जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है।
इन गांवों का निर्माण भारत के लिए चिंता कारण बन गया है। ढोकला में चीन की स्थिति मज़बूत होने से सिलिगुरी कॉरिडोर जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है। इसकी सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है। यह कॉरिडोर भारत के मुख्य भूमि को उत्तर पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। आपको बता दें कि इस मामले पर अभी तक भारत के मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भूटान की स्थिति और चीन के दावे……………..
हाल ही के वर्षों में भूटानी अधिकारियों ने भूटान की क्षेत्रीय संप्रभुता पर चीन द्वारा बनाए गए बस्तियों को ख़ारिज़ किया है। सन् 2023 में भूटान की पूर्व प्रधानमंत्री लोते त्शेरिंग ने एक बेल्जियन समाचार पत्र को बताया था कि यह चीनी ठिकानें भूटान में नहीं है। भूटान ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आपको बता दें कि सन 2016 में जब चीन ने भूटान के क्षेत्र में पहला गांव बनाया था, तब से अब तक 22 गांव और बस्तियां बन चुकी हैं।
इनमें करीब 2284 घर हैं। लगभग 7000 लोगों इन इलाकों में बसाएं गए हैं। रॉबर्ट बार्नेट ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इसकी बात की थी।
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