गागलहेड़ी मिट्टी के बर्तनों का फिर बढ़ा क्रेज, सेहत के लिए नहीं वरदान से कम।
रसोई में अब मिट्टी के बर्तन नज़र आने लगे हैं। मिट्टी से बना कुकर में सामान्य कुकर की तरह सिटी भी है। इसमें बने खाने में मिट्टी की खुशबू स्वाद बढ़ा देती है। ऐसे ही कड़ाही भी है। यह तीन लीटर तक की क्षमता वाली है। वही रोटी बनाने के लिए दवा चाय पीने के लिए कब तक राजवीर सिंह बना रहे हैं। राजवीर सिंह का कहना है कि बाजार में लोहा, पीतल, कांच और प्लास्टिक की बोतल देखने को मिलती थी। अब मिट्टी की बोतल भी बाजार में पहुंच रही है। इसकी क्षमता 1 लीटर तक है। मिट्टी से दिल में थाली भी बाजार में है। जिसमें एक थाली, चार कटोरी, चाटनी की कटोरी, चम्मच सहित 9 आइटम है। दी से तैयार मिट्टी की क्रोकरी कैटर्स की भी पसंद बनती जा रही है। महंगी जरूर है मगर अच्छी है। मिट्टी से निर्मित थाली भी बाजार में है। बाजार में इसकी क़ीमत ₹250 है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार गागलहेड़ी (उत्तर प्रदेश )।
गागलहेड़ी अपना वतन, अपनी मिट्टी की बात ही कुछ और है। इसकी सुगंध से किसान चाहता है, तो कुम्हारों का व्यापार भी महकता हैं। पौराणिक गाथाओं में खाना बनाने से लेकर परोसने तक की चर्चा है। शहरी दावतों तक मिट्टी के बर्तन में खाना परोसने और खिलाने तक का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। कोरोना संकट के बाद मिट्टी के बर्तन पसंद किए जाने लगे हैं। इसे सेहत के लिए लाभकारी माना जा रहा हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि पहले कुम्हार के बनाए गए सखोरा और कुल्हड़ में मथना में दही भरोसा जाता था। अब इस कारोबार को आधुनिकता से जोड़ा गया हैं।
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थाना क्षेत्र के चोरादेव के रहने वाले राजवीर सिंह अपने गांव में तो माटी के बर्तन बना ही रहे हैं। बल्कि नजीबाबाद मंडलीय स्तर पर भी कार्य कर रहे हैं। 16 जिलों की ट्रेनिंग देते हैं।
गागलहेड़ी- रसोई में मिट्टी के बर्तन नज़र आने लगे हैं। मिट्टी से बना कुकर की तरह सामान्य कुकर में भी सिटी है। इसमें बने खाने में मिट्टी खुशबू और भी स्वाद बढ़ा देती है। ऐसे ही कढ़ाई भी है। यह तीन लीटर तक की क्षमता वाली है। यह वही रोटी बनाने के लिए तवा, चाय पीने के लिए कप तक राजवीर सिंह बना रहे हैं।
कैटर्स की पसंद में मिट्टी की क्रोकरी भी………..
राजवीर सिंह का कहना है कि बाजार में लोहा, पीतल, कांच और प्लास्टिक की बोतल देखने को मिलती थी। अब मिट्टी की बोतल भी बाजार में पहुंच रही है। इसकी क्षमता 1 लीटर तक है। इसके अलावा 5 लीटर तक का कैंपर भी बाजार में मौजूद हैं। डाई से तैयार मिट्टी की क्रोकरी कैटर्स की भी पसंद बनती जा रही है। मैगी जरूर है, मगर अच्छी है। मिट्टी से निर्मित थाली भी बाजार में है। जिसमें एक थाली, चार कटोरी गिलास, चटनी की कटोरी सहित नौ आइटम हैं। बाजार में इसकी क़ीमत ₹250 है।
घड़े और सुराहियों में पानी भरकर रखने से पानी ठंडा हो जाता है बल्कि उसमें पोषक तत्व भी भरपूर होते हैं। साथ ही इसका स्वाद मीठा होता हैं। मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, गंधक और मैग्नीशियम जैसे जरूर तत्व होते हैं। जिससे शरीर को कई बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती हैं। राजवीर सिंह का कहना है कि मिट्टी के बर्तन बनाने का हुनर हमें पुरखों से मिला है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने से कुल्हड़ की मांग बढ़ गई है। बाजार में मिट्टी के बर्तनों की मांग से कारोबार बढ़ रहा हैं।
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