मंडियों में फसलों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, बनेंगे कोल्ड रूम : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री का निर्देश, उपकार संस्था की उपयोगिता को बढ़ाएं नवाचार को मिले प्रोत्साहन।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल के 170 वीं बैठक संपन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा किसानों का हित संरक्षण सुनिश्चित करते हुए विभिन्न दिशा निर्देश दिए गए राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए किया जा रहे प्रयास सरहनी है। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है।

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वित्तीय वर्ष 2022 और 23 में जहां 1553 करोड़ की आई हुई थी। वहीं 2023 और 24 में लगभग 1862 करोड़ की आय हुई है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 400 करोड़ का राजस्व संग्रहित हो चुका है। मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय है। यह राजस्व किसानों के हित में ही व्यय किया जाए। मंडी किसानों के लिए है दूरदराज से किसान अपनी फसल लेकर यहां आते हैं।  ऐसे में यहां उनकी सुविधा और सुरक्षा के सभी प्रबंध होने चाहिए।

मंडियों में साफ सफाई, जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो, जल भराव की स्थिति ना हो, शौचालय पेयजल के पर्याप्त इंतजाम रखें। यहां किसानों के लिए विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए। मंडी परिसर में कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। जिस दुकान का जितना क्षेत्र है इसका फैलाव उसी सीमा के अंदर ही होना चाहिए।

इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करायें। नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था का सरलीकरण किया जाना चाहिए। वर्तमान में इकाई स्थापना के दिनांक से 6 माह के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष आवेदन करना होता है। जिसे मंडल आयुक्त द्वारा रिपोर्ट के लिए जिला मजिस्ट्रेट को भेजा जाता है। इस व्यवस्था का सरलीकरण करते हुए इकाई द्वारा आवेदन सीधे जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष ही किया जाए और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अगले  7 दिनों मे  रिपोर्ट के लिए मंडी समितियां को भेज दिया जाए।

गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ ,बरिपाल और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर यूजर चार्ज लिये जाने की व्यवस्था है। व्यापारियों के हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यापारी वर्ष भर में मंडी की दुकान से जितने मूल्य के खाद्य तेलों का व्यापार करें, न्यूनतम उतने ही मूल्य के कृषि उत्पादन जिन पर मंडी शुल्क या यूजर चार्ज लिया जाता है का भी व्यापार करें, तो उनमें खाद्य तेल पर यूजर चार्ज नहीं लिया जाए।

मंडी परिषद एवं मंडी समितियों में विभिन्न विभागीय संपत्तियों की नीलामी को सुचित पूर्ण और पारदर्शी बनाने के लिए मैनुअल के स्थान पर ‘ई-आक्शन’ व्यवस्था लागू किया जाएं। विगत 7 वर्षों में राज्य मंडी परिषद द्वारा किसान हित में अनेक नवाचार किए गए हैं। कृषि विपणन के लिए मंडियों की उपयोगिता बढ़ी है। राज्य सरकार द्वारा किसान कल्याण की अनेक योजनाएं भी संचालित की जा रही है। इन सभी विषयों को समाहित करते हुए मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज लेटर का प्रकाशन कराया जाना चाहिए। यह न्यूज़ लेटर डिजिटल भी हो, इसे किसानों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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