माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को गाजीपुर में भाजपा और बसपा से मिल रही कड़ी टक्कर

इस बार पारसनाथ राय खुद ही चुनाव मैदान में है। पारसनाथ राय विद्यार्थी परिषद से होते हुए भाजपा में आए हैं, वहीं डॉक्टर उमेश कुमार सिंह बसपा से चुनावी मैदान में है।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV9 भारत समाचार  गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)।  जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह माफिया मुख्तार अंसारी की  28 मार्च को बांदा जेल में मौत हो गई थी। मुख्तार की मौत के बाद गाजीपुर में पहली बार लोकसभा का चुनाव हो रहा है। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने 2019 में बहुजन समाज पार्टी से गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव जीता था। गाजीपुर के साथ-साथ पड़ोस के बलिया, मऊ, आजमगढ़ और वाराणसी जैसे जिले में भी अंसारी परिवार का प्रभाव माना जाता है। अंसारी परिवार एक संपन्न राजनीतिक परिवार है।

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मुख्तार की मौत के बाद अंसारी परिवार को अब सहानुभूति वोट मिलने का भरोसा है। इस बार गाजीपुर में भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। गाजीपुर लोकसभा में चुनाव के अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है। अफजाल अंसारी चुनाव से पहले ही बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए हैं। सपा ने गाजीपुर से अफजल की उम्मीदवारी की घोषणा भी बहुत पहले ही कर दी थी। भाजपा ने अफजाल के सामने पारसनाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा है।  पारसनाथ राय को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का करीबी माना जाता है।

अब तक हुए चुनाव में मनोज सिन्हा के चुनाव की जिम्मेदारी राय ही उठाते रहे हैं। इस बार पारसनाथ राय खुद ही चुनाव मैदान में हैं।  पारसनाथ राय विद्यार्थी परिषद से होते हुए भाजपा में आए हैं। वहीं डॉक्टर उमेश कुमार सिंह बसपा से चुनावी मैदान में है। अफजाल ने 2019 के चुनाव में मनोज सिन्हा को मात दी थी। अफजाल अंसारी को 5लाख 66 हजार 82 वोट और मनोज सिन्हा को 4,46,690 वोट मिले थे। सुभासपा के राम जी को 33877 और कांग्रेस के अजीत प्रताप कुशवाहा को 19834 वोट मिले थे। इस बार के चुनाव में सुभासपा भाजपा की सहयोगी है, तो कांग्रेस ने सपा से हाथ मिलाया है। मनोज सिंन्हा 1996, 1999 और 2014 में गाजीपुर से चुनाव जीत चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मनोज सिन्हा को मोदी की पहली सरकार में रेल राज्य मंत्री बनाया गया था। वही अफजाल अंसारी ने 2004 का चुनाव गाजीपुर से सपा की टिकट पर जीता था। इस बार चुनाव में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से गाजीपुर उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी लोकसभा है। गाजीपुर में 2024 में 20,74,833 मतदाता है। पूर्वांचल की इस लोकसभा में एक छात्र राज किसी पार्टी ने नहीं किया। एक समय पूर्वांचल के जिलों में कम्युनिस्ट आंदोलन का दौर था। उस दौरान 1967, 1971 और 1991 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस लोकसभा से चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके अलावा पांच बार कांग्रेस, दो बार सपा, जनता पार्टी , बसपा और निर्दलीय ने एक बार यहां से जीत दर्ज की है ।

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