मद्रास हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अस्थायी कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक से इनकार।
सत्या को 1997 में अनुबंध के आधार पर अरियालुर जिले के ग्रामीण विकास विभाग में कंप्यूटर सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने अपनी नौकरी को नियमित करने की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में मामला दायर किया। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार कर 12 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार चेन्नई ।
मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को नवंबर 2020 के बाद संयुक्त अस्थाई कर्मचारियों कि बर्खास्तगी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि उसके आदेश को बदला नहीं जा सकता।
लेकिन तमिलनाडु सरकार अगर राहत चाहती है, तो उसे संशोधन याचिका दाखिल करनी होंगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया था कि वह नवंबर 2020 के बाद नियुक्त सभी अस्थाई कर्मचारियों को हटाकर 17 मार्च तक रिपोर्ट पेश करें।
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क्या है पूरा मामला…………
सत्या को 1997 में अनुबंध के आधार पर अरियालुर जिले के ग्रामीण विकास विभाग में कंप्यूटर सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने अपनी नौकरी को नियमित करने की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में मामला दायर किया।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार कर 12 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया। ग्रामीण विकास विभाग ने इस आदेश के ख़िलाफ़ अपील दायर की थी।
क्या कहा था कोर्ट ने?………
25 फरवरी को आर. सुब्रमण्यन और जी. अरुलमुरूगन की पीठ ने नवंबर 2020 के बाद नियुक्त सभी अस्थाई कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश दिया।
तमिलनाडु सरकार को अस्थाई कर्मचारियों को नियुक्त करने वालों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, पीठ ने राज्य सरकार को अस्थाई कर्मचारियों की बर्खास्तगी के संबंध में 17 मार्च को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई……….
राज्य सरकार ने इस आदेश को संशोधित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। राज्य सरकार के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 26 फरवरी को की गई। सनी करने वाले न्यायाधीशों ने कहा कि वह अस्थाई कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए जारी आदेश में संशोधन नहीं कर सकते, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पुनरीक्षण याचिका दायर कर राहत पा सकती है।
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