मध्य प्रदेश पर तय सीमा से ऊपर क़र्ज़, लिमिट बढ़ाने के लिए केंद्र से अनुमति मांगेंगी सरकार।
प्रदेश में अधोसंरचनात्मक कामों को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाया जा रहा है। यह लगभग 60 करोड़ रुपए पहुंच गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में इसे बढ़ाकर 65 हजार करोड़ रुपए तक किया जाएंगा। 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ होना है। सरकार उज्जैन और आसपास के जिलों में सड़क, पुल, पुलिया, फ्लायओवर सहित निर्माण के कार्य कर रही है।
मुकेश कुमार क्राइम एडिटर इन चीफ TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश )।
अधोसंरचना विकास की गति को बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार अधिक क़र्ज़ लेने की अनुमति भारत सरकार से मांगेंगी। 16 वें वित्त आयोग के सामने सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 4% क़र्ज़ लेने की अनुमति मांगी जाएंगी। अभी प्रदेश को जीएसडीपी के अनुपात में 3% क़र्ज़ लेने की अनुमति है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 30 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज़ हो गया है।
प्रदेश में अधोसंरचनात्मक कामों को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाया जा रहा है। यह लगभग 60 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में इसे बढ़ाकर लगभग 65 हजार करोड़ रुपए तक किया जाएंगा।
दरअसल, 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ होना है। सरकार उज्जैन और आस-पास के जिलों में सड़क, पुल पुलिया, फ्लायओवर, सहित कई निर्माण के कार्य कर रही है। प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए भी अधोसंरचना विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसके लिए राज्य के बजट से राशि की पूर्ति संभव नहीं है। इसीलिए अधिक कर्ज़ लेने की अनुमति मांगी जा रही है। पिछले वर्ष भी केंद्र सरकार से आग्रह किया गया था। लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति अच्छी है। एक बार फिर राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्राविधान का उल्लंघन नहीं हुआ हैं।
केंद्र सरकार के सहमति के बाद मिल सकेंगा कर्ज़……….
जो भी कर्ज़ भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से सरकार ले रही है। उसका उपयोग पूंजीगत कार्यों यानी अधोसंरचनात्मक विकास पर ही किया जा रहा है। यदि केंद्र सरकार प्रदेश की मांग पर सहमत हो जाती है तो अधिक राशि उपलब्ध हो जाएंगी। जिससे विकास कार्यों को गति मिलेंगी।
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