मध्य प्रदेश में सुशासन से जागा जन विश्वास, 80 लाख लंबित मामलों का हुआ निराकरण।
ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व जुड़े प्रकरण बड़ी संख्या में सामने आते हैं। लाखों प्रकरण लंबित थे। इसके निराकरण के लिए पहला महा अभियान 15 जनवरी से 15 मार्च तक चलाया गया। जिसमें 30 लाख राजस्व मामलों का निपटारा हुआ, दूसरा महा अभियान 18 जुलाई से 31 अगस्त तक चला। जिसमें 50 लाख राजस्व मामलों का निपटारा हुआ। इसमें 18 लाख, 95 हजार 239 नामांतरण प्रकरणों का निराकरण किया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश )।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन का मंत्र है- आम आदमी के काम सरलता से हो। पात्रों को योजनाओं का लाभ मिले। मोहन यादव सरकार ने कई नवाचार किए। यही वजह है कि वर्ष में सुशासन के प्रयासों से जन विश्वास जागा है। मुख्यमंत्री ने स्वयं संभागीय मुख्यालय पर जाकर विकास योजनाओं की समीक्षा की है। पहली बार अपर मुख्य सचिव और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को संभागीय प्रभारी बनाकर बनाकर भेजा तो वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्यवाही कर यह संकेत भी दिए कि सुशासन से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीम सहित अन्य अधिकारियों को मैदान में उतारा तो नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, सहित राजस्व से जुड़े मामलों का निराकरण कराने का महा अभियान चलाया।
18 लाख मामलों का हुआ निराकरण………
ग्रामीण क्षेत्र में राजस्व से जुड़े प्रकरण बड़ी संख्या में सामने आते हैं। लाखों प्रकरण लंबित थे। इसके निराकरण के लिए पहले महाभियान 15 जनवरी से 15 मार्च तक चलाया गया। जिसमें 30 लाख राजस्व मामलों का निपटारा हुआ। दूसरा महा अभियान 18 जुलाई से 31 अगस्त तक चला। जिसमें 50 लाख राजस्व मामलों का निपटारा हुआ। इनमें 18 लाख, 95 हजार, 239 नामांतरण प्रकरणों का निराकरण किया गया।
सीमाओं का होगा पुनः निर्धारण………
प्रदेश में ज़िलों की संख्या बढ़कर 55 हो गई हैं। नए जिलों की मांग भी हैं। तहसील के पुनर्गठन के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं। कहीं कस्बे उन व्यावहारिक रूप से उन जिलों में शामिल हैं, जिनका मुख्यालय दूर है। प्रशासनिक नियंत्रण में परेशानी आती है। प्रशासनिक इकाई आयोग का भी गठन किया गया है। सामान्यतः जब भी कोई दुर्घटना होती है तो छोटे अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर कार्यवाही कर दी जाती है। प्रदेश की मोहन सरकार में छोटे नहीं बड़े अधिकारियों पर गाज गिरी।
व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि सरकारी दफ़्तर में चक्कर लगाना ना पड़े। आमजन को सुविधा देने के लिए जो नवाचार किए गए हैं वह तो अच्छे हैं पर प्रक्रियाओं का सरलीकरण आवश्यक है। जब तक यह नहीं होगा, आमजन परेशान होते रहेंगे। व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि लोगों को अपना काम करने के लिए ऑफिसों के चक्कर ही ना लगाने पड़े। संभागों में कमिश्नर तैनात है, तो उन्हें सशक्त बनाना चाहिए। ताकि छोटे-मोटे कामों के लिए मंत्रालय तक प्रकरण ही ना पहुंचे। अधिकारों का विकेंद्रीकरण हो और अधिकारी संवेदनशील रहें।
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