मध्य प्रदेश लोकायुक्त में सलाह देने भेजे गए, जज करने लगे जांच, हाई कोर्ट नाराज़।
उज्जैन स्टेट यूनिवर्सिटी की जमीन पर बिल्डिंग परमिशन को लेकर दो पक्षों में विवाद चल रहा है। एक पक्ष में नगर निगम के सिटी प्लानर मनोज पाठक, बिल्डिंग अवसर रामबाबू शर्मा, अरुण जैन, बिल्डिंग निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा और अन्य के ख़िलाफ़ लोकायुक्त में शिकायत की। इस मामले में लोकायुक्त के अधिकारी कोर्ट पहुंचे। याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट अजय बागड़ी ने की। कोर्ट को बताया गया, लोकायुक्त में कानूनी सलाह देने के लिए जिन जजों को तैनात किया गया है, उनके द्वारा मामलों की जांच की जा रही है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार इंदौर (मध्य प्रदेश )।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर खंडपीठ ने लोकायुक्त में कानूनी सलाह देने के लिए जजों की तैनाती की गई। लेकिन यह न्यायाधीश मामलों की जांच करने लगे। इस मामले को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
हाई कोर्ट ने लोकायुक्त के साथ ही जजों की भूमिका पर नाराजगी प्रकट की। मामला उज्जैन लोकायुक्त से जुड़ा है।
लोकायुक्त के मामलों की जांच जजों से करवाई……
मामले के अनुसार, उज्जैन स्थित यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर बिल्डिंग परमिशन को लेकर दो पक्षों में विवाद चल रहा है। एक पक्ष ने नगर निगम के सिटी प्लानर मनोज पाठक, बिल्डिंग अफसर रामबाबू शर्मा, अरुण जैन, बिल्डिंग निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा और अन्य के ख़िलाफ़ लोकायुक्त में शिकायत की। इस मामले में लोकायुक्त के अधिकारी कोर्ट पहुंचे। याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट अजय बागड़ी ने की। कोर्ट को बताया गया, लोकायुक्त में कानूनी सलाह देने के लिए जिन जजों को तैनात किया गया है, उनके द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
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इस मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की खंडपीठ ने करते हुए कहा, “यदि किसी को अपनी ज़मीन पर भवन निर्माण की अनुमति पर कोई आपत्ति है, तो वह लोकायुक्त की बजाय रीट या सिविल बार्ड कोर्ट में दायर कर सकते थे। लोकायुक्त ने कोई जांच नहीं की। बल्कि प्रति नियुक्ति पर भेजे गए सलाहकारों से जांच कराई। जबकि उन्हें लोकायुक्त में कानूनी सलाह देने के लिए भेजा गया था। उन्हें जांच नहीं करनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी की, उनकी रिपोर्ट कभी-कभी आरोप पत्र पर आधार बन जाती है, जो आरोपी के ख़िलाफ़ अदालत में जाती है। लोकायुक्त किसी भी जांच के लिए किसी अन्य अभियोजन एजेंसी की सेवाएं ले सकते हैं। लेकिन न्यायिक अधिकारी ऐसा नहीं कर सकते हैं, उन्हें केवल कानूनी राय लेने के लिए तैनात किया गया है।
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