मां के व्यवहार से नाखुश अदालत ने नाबालिक की कस्टडी पिता को सौंपी।

न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने कहा है कि एक गौरवशाली देश के उभरते ,बढ़ते नागरिक नाबालिक बच्चों की भविष्य की देखभाल ऐसी मां द्वारा नहीं की जा सकती है। जो अपने पति को तलाक दिए बिना ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग गई। साथ ही कोर्ट ने याची द्वारा अपनी पत्नी और बेटे की विरासत की मांग में दाखिल प्रत्याशीकरण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार प्रयागराज ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति से औपचारिक तलाक लिए बिना किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग कर शादी करने के करण नाबालिक बच्चे की अभिरक्षा उसके पिता को सौंपने का आदेश दिया है। न्याय मूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि एक गौरवशाली देश उभरते नागरिक नाबालिक बच्चे के भविष्य की देखभाल ऐसी मां द्वारा नहीं की जा सकती, जो अपने पति को तलाक दिए बिना ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ भाग गई। 

साथ ही कोर्ट ने यांची द्वारा अपनी पत्नी और बेटे की हिरासत की मांग में दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया।

आगरा के रकाबगंज थाना क्षेत्र निवासी सूरज कुमार का कहना था कि उनकी पत्नी और बेटा उनकी हिरासत में थे। कोर्ट के समक्ष पत्नी ने दावा किया है कि वह और उसका बच्चा अपनी मर्जी से विपक्षी के साथ कह रहे हैं। हालांकि, उसने स्वीकार किया है कि याची ही संबंधित बच्चे का पिता है। सूरज के वकील ने तर्क दिया है कि उनके मुवक्किल के पास अपने बच्चे के पालन पोषण के लिए वित्तीय पर्याप्त साधन है।

केवल पत्नी द्वारा अपनाई गई काल्पनिक और आकर्षक संस्कृति के आधार पर बच्चों की भविष्य को अंधेरे में नहीं डाला जा सकता है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि नाबालिक बच्चे को उस महिला के पास नहीं छोड़ा जा सकता है। जो पति से तलाक के रूप में कानून का उचित सहारा लिए बिना किसी व्यक्ति के साथ चली गई है।

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