लंदन गए नीतीश, अमित शाह ने सुलझा ली बिहार में सीट शेयरिंग की गुत्थी, चिराग, कुशवाहा, मांझी सब हुए राजी

खुद को मोदी का हनुमान खाने वाले चिराग पासवान को इंडिया ब्लॉक की ओर से भी ऑफर आ रहे थे।

मुकेश कुमार  (क्राइम ऐडिटर इन चीफ )TV9 भारत समाचार  नई दिल्ली।  लोकसभा चुनाव नजदीक है और सभी राज्यों में गठबंधन सीट शेयरिंग पर फाइनल डिसीजन लेने में जुटे हैं। इसी बीच बिहार से ऐसी खबरें आ रही है, कि एनडीए में सीट शेयरिंग का फार्मूला फाइनल कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो हाल में ही एनडीए से वापस जुड़े हैं। इस वक्त देश में के बाहर हैं। नितीश की गैर मौजूदगी में एनडीए द्वारा सीट शेयरिंग को लेकर डील फाइनल करने की चर्चा तेज है। खास बात यह है, कि खुद को मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान को इंडिया ब्लॉक की ओर से भी ऑफर आ रहे थे। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा थी कि चिराग को कुल 10 सीट ऑफर की गई थी, 8 बिहार में तो 2 यूपी में।

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चिराग 2 बजहो से बेचैन थे, पहले यह कि उनके चाचा ने अपना अलग धड़ा खड़ा कर लिया था। चिराग के चाचा पशुपति पारस पांच सांसदों के नेता थे। चिराग अपनी पार्टी के इकलौता सांसद थे। उन्हें डर था कि चाचा कहीं उनका हक ना मार ले। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी चिराग के रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं है। लेकिन अमित शाह ने उनकी गुत्थी भी सुलझा दी है। बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने सभी को खुश रखते हुए बिहार की 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझा दी है। राजनीतिक गलियांरों में चल रही चर्चाओं के अनुसार एनडीए में सीट शेयरिंग फाइनल हो चुकी है। इसे लेकर सभी दलों की सहमति भी बन गई है। अब बस  औपचारिक ऐलान का इंतजार है।

सूत्रों की माने तो बीजेपी ने अपने पास 17 सीट रखते हुए जदयू को 16, रालोजद को 1, हम (सेकुलर ) को 1, लोजपा (पारस गुट) को 2 और लोजपा (रामविलास) को 3 सीटों पर माना लिय  लिया है। कई लोगों के मन मे  यह सवाल भी आ सकता है कि 10 सीटों को छोड़ चिराग 3 सीटों के लिए कैसे मान गए, तो इसकी सबसे बड़ी वजह मोदी लहर है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी की लहर में जीतना चिराग की पार्टी के लिए ज्यादा आसान होगा। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह ने उपेंद्र कुशवाहा को भी मान  लिया है। उनसे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने मुलाकात की। मुलाकात को लेकर दोनों नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है।

लेकिन कुशवाहा के बयान से यही लगता है कि सब कुछ सही रास्ते पर है। दोनों की मीटिंग के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संजय जयसवाल से उनकी पहले भी बातचीत होती रही है। चुनावी मौसम में दोनों की मुलाकात निश्चित तौर पर चुनाव को लेकर थी। उनके बयान की एक लाइन से ही स्पष्ट है कि वे अब संतुष्ट है। उधर यह चर्चा भी तेज है कि इन सीट बंटवारों के साथ में पशुपति पारस को राज्यसभा, लल्लन सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह और हम (सेक्यूलर) को बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रालय देने की बात चल रही है। हालांकि सीट बंटवारे को लेकर यह चर्चाएं और अनुमान कहां तक सच साबित होता है, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा के चाणक्य ने बिहार में उलझी गुत्थी को सुलझा लिया है।

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