लम्पी बीमारी के स्वदेशी वैक्सीन को मिलीं मंजूरी, लाखों में विश्व की बच सकेंगी जान, भारत में लम्पी डिज़ीज का कहर।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से लाइसेंस मिलने के बाद पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले भारत विदेशी टीकों पर निर्भर रहता था। लेकिन स्वदेशी टीका बनने के बाद भारत का आयतित टीकों पर से निर्भरता कम होंगा।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।
इस बीमारी के कारण लाखों मवेशियों की मौत हो चुकी है। आज भी बहुत से मवेशी इस बीमारी की गिरफ़्त में है। लेकिन इस बीमारी की रोकथाम के लिए भारत बायोटेक समूह की कंपनी बायोवेट ने बायोलम्पी वैक्सीन तैयार किया है। भारत में बनी पहली वैक्सीन बायोलम्पिवैक्सिन को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल संगठन में लाइसेंस मिल गया है। मान्यता मिलने के बाद अब यह टीका जल्द ही मार्केट में उपलब्ध हो जाएंगा।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से लाइसेंस मिलने के बाद पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले भारत विदेशी टीकों पर निर्भर कम होंगा।
इस नए स्वदेशी लाइव एंटेन्यूएटेड मारकर वैक्सीन को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, राष्ट्रीय अश्वअनुसंधान केंद्र हिसार के एल एसडी वायरस ने वैक्सीन स्ट्रेन का उपयोग करके विकसित किया है। इस तकनीक का 2022 में बेंगलुरु स्थित बायोवेट सहित कम से कम कर वैक्सीन निर्माताओं को दिया गया था।
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बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण के बाद तैयार हुआ टीका ..
वैक्सीन निर्माता बायोवेट ने एक बयान में कहा कि बायोलम्पिवैक्सिन भारत की पहली एल एसडी वैक्सीन है। यह दुनिया की सबसे सुरक्षित और पहले संक्रमित को टीका लगाए गए जानवरों से अलग करने वाली मार्कर वैक्सीन है। वैक्सीन की क्वालिटी, सुरक्षा और असर को कई पैमाने पर परखा गया है। ICAR – NRCE और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण किया गया है।
बायोवेट ने अपने एक बयान में कहा है कि यह वैक्सीन रोग निगरानी और उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए पशु चिकित्सा के लिए एक गेम चेंजर साबित होंगा। एक्सपट्र्स और फील्ड वर्कर अब यह पता लगा सकते हैं कि किसी जानवर को बायोलम्पिवैक्सिन लगाया जा सकता है।
कंपनी ने कहा है कि बायोलम्पिवैक्सिन बहुत जल्द ही मार्केट में आएगा। बायोवेट की मल्लूर यूनिट में तैयार होने वाली यह वैक्सीन सालाना 500 मिलियन खुराक उत्पादन कर सकती है। लम्पी वायरस एक ट्रांसबाउंड्री पशु रोग है। जिसने मवेशियों के स्वास्थ्य और डेरी उद्योग प्रभावित किया है।
लम्पी स्किन डिजीज गाय और भैंसों में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। यह मच्छरों, मक्खियों, टिक्स ( छोटे कीड़े ) और संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलती है। इससे मवेशियों के शरीर पर गठ बन जाते हैं। तेज बुखार आता है। इस बीमारी की वज़ह से लाखों मवेशियों की जान जा चुकी है और हजारो मवेशियां आज भी इस बीमारी से जूझ रही है।
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