कुचामन सिटी धनतेरस पर सोने – चांदी नहीं, मिट्टी की होती है पूजा, बहुत खास परंपरा।
महिला ग्रुप बनाकर सज धज कर बर्तन लेकर घर से बाहर निकलती है, और जहां लाल मिट्टी मिलती है वहां दीपक, कुमकुम, जल, अगरबत्ती और धन से मिट्टी की पूजा करती हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार जयपुर (राजस्थान)। कुचामन सिटी दिवाली पर हर क्षेत्र की अपनी-अपनी परंपराएं होती हैं। इसी तरह कुचामन सिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है, यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर घर लाने की परंपरा है। इस ‘धन की पूजा’ कहते हैं। पार्षद लतिका वर्मा पारीक ने बताया कि महिलाएं सुबह उठकर घर से बाहर मिट्टी लाने जाती हैं।
लाल मिट्टी को सबसे पवित्र मिट्टी माना जाता है। और जहां लाल लाल मिट्टी मिलती है, वही दीपक, कुमकुम, जल, अगरबत्ती और धान से मिट्टी की पूजा करती है। आंगन को लाल मिट्टी से लीपने की परंपरा से महिलाओं का मानना है कि इस मिट्टी को घर ले जाने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश और धन का वास होता है।
महिला बोली- मिट्टी ही खरा सोना है –
गोड़ समाज अध्यक्ष पुष्पा गोड़ कहती हैं, कि भारत की भूमि पवित्र है, यह धरा मिट्टी रूपी सोना वह उगलती है। धनतेरस के दिन माय लाइफ इस मिट्टी की पूजा करती हैं, और इसे धन मानकर घर लाती हैं। पूजा की मांगलिक कार्य में यह मिट्टी शुभ मानी जाती है। दीपावली की शाम लक्ष्मी मैया की पूजा के दौरान इस मिट्टी रूपी धन की भी पूजा की जाएगी। स्थानीय महिला सुशील जोशी ने बताया कि धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर को है।
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धनतेरस पर भगवान को बेर और धन की देवी लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सोना चांदी और ज्वेलरी खरीदना शुभ है। लेकिन राजस्थान के कुचामन सिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है। यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर घर लाने की परंपरा है। धनतेरस से लेकर लक्ष्मी पूजन का घर के आंगन में लाल मिट्टी का लेप किया जाता है तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, और दीपक जलाए जाते हैं।