कोटेदार राशन डीलर ने खेला बड़ा खेल, मुर्दे भी खा रहे सरकारी राशन

जिंदा लोग भटक रहे और मरे हुए लोगों को मिल रहा राशन।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार  अंबेडकरनगर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के जिला अंबेडकरनगर के गांव कलुआ कौरा से एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां सरकारी दस्तावेजों में यहां सालों से मरे हुए लोग अनाज खा रहे हैं। यह सुनने में जरूर अटपटा लग रहा है। लेकिन सो फीसदी सच है। राशन विक्रेता ने अपने लाभ के लिए मृतकों के नाम कोटे की सूची से अलग करने की वजाय आज भी राशन कोटेदार द्वारा गोदाम से उठाया जा रहा है।

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गरीब परिवारों को राशन बांटने के नाम पर बड़ा खेल खेला जा रहा है। ग्राम सभा के कुछ ऐसे परिवारों में मरे हुए व्यक्तियों के नाम पर भी सरकारी राशन अलाट हो रहा है। यह बात अलग है, कि परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। और कोटेदार उस राशन को डकार कर दुकानदारी चमका रहे हैं।

राशन घोटाले का यह मामला मीडिया के हाथ लगा है। घोटाले में साफ दिख रहा है कि फूड एंड सप्लाई विभाग के कुछ अधिकारी भी मिले हुए हैं। अगर इसकी जांच विजिलेंस ब्यूरो से करवाई जाए तो बहुत बड़ा राशन स्कैम सामने आएगा। मीडिया कर्मी के पास इसका सबूत भी उपलब्ध है।

मसलन कि मरे हुए पति और मरे बेटे के नाम पर भी राशन गटका जा रहा है। यह महज इतने ही परिवार नहीं है जिनके नाम पर राशन घोटाला हो रहा है। मालूम पड़ा है कि अधिकांश कोटेदार मरे हुए व्यक्तियों का नाम कटवाने के बजाय उनके नाम पर सरकारी राशन अलाट करवा कर उल्लू सीधा कर रहे हैं।

इस चक्कर में ईमानदार कोटेदार भी बदनाम हो रहे हैं। एक कोटेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राशन वितरण की अगर विजिलेंस ब्यूरो जांच कराई जाए तो करोड़ों का घोटाला सामने आएगा। अगर किसी परिवार में किसी सदस्य की मौत हो जाती है, तो कोटेदार को उसका नाम कटवाना होता है।

इसके अलावा जब किसी परिवार की लड़की की शादी हो जाती है तो उसका भी नाम कटवाना होता है। लेकिन ऐसा ना करके कोटेदार अपनी दुकानदारी चमक रहे हैं। इस तरह से सरकार को चूना लगाय  जा रहा है। यदि किसी राशन कार्डधारी मुखिया की मृत्यु होती है तो उसका नाम बाकायदा परिवर्तित कर दूसरे समुदाय के नाम से कार्ड बनाने का नियम है।

लेकिन यहां सालों से राशन कार्ड ना ही बदले गये और ना ही मुखिया या मृत सदस्यों के नाम काटे गए हैं। आपकों बताते चलें, कि अगर नियमों के तहत नए सिरे से खाद्य सुरक्षा अधिनियम की समीक्षा की जाए तो निश्चित तौर पर प्रतीक्षा सूची में शामिल गरीब आवेदकों का भला हो जाएगा।

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