कानपुर में ज्योति हत्याकांड, हाई कोर्ट ने पति पियूष सहित पांचो अभियुक्तों की सजा बरकरार रखी।
सभी अभियुक्तों ने 20 अक्टूबर 2022 को कानपुर की सेशन कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। सेशन कोर्ट ने हत्या के आरोप में पीयूष दासानी, सोनू कश्यप, रानू उर्फ अखिलेश कनौजिया, आशीष कश्यप, मनीष मखीजा को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज (उत्तर प्रदेश )।
लगभग 10 वर्ष पूर्व कानपुर के चर्चित ज्योति हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्योति के पति पीयूष श्याम दासानी सहित पांच अभियुक्तों को ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने इन पांचो की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी है। जबकि पीयूष की कथित प्रेमिका मनीष मखीजा को हाई कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
सभी अभियुक्तों ने 20 अक्टूबर 2022 को कानपुर की सेशन कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। सेशन कोर्ट ने हत्या के आरोप में पियूष श्याम दासानी, सोनू कश्यप, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, अवधेश चतुर्वेदी, और मनीष मखीजा को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इन सभी ने सेशन कोर्ट के फैसले को अपील में चुनौती दी थी।
अपील पर न्याय मूर्ति अरविंद सिंह सागवान और न्याय मूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी के खंडपीठ ने सुनवाई की। हाई कोर्ट ने अभियुक्त के खिलाफ सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों की गहराई से समीक्षा करने के बाद कहा है कि अभियोजन पांचो अभियुक्तों के खिलाफ आरोप साबित करने में सफल रहा।
हाई कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्तों को सजा सुनाए जाने का निर्णय पूरी तरीके से सही है और इसमें हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है। जबकि मनीष मखीजा के मामले में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजर अंदाज किए जाने तथा मात्र आशंका के आधार पर सदा सुने जाने को गलत करार दिया। कोर्ट ने कहा है कि मनीषा के इस षड्यंत्र में शामिल होने के पुख्ता प्रमाण नहीं है। अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा है कि मनीषा को ज्योति की हत्या के षडयंत्र और पीयूष के इरादे की पहले से जानकारी थी। सिर्फ आशंका और संभावना के आधार पर साक्ष्य की चेन पूरी नहीं होती है।
पीयूष ने ही दर्ज कराई थी प्राथमिकी……….
अपनी पत्नी ज्योति की हत्या की साजिश रचने वाली पीयूष श्याम दासनी मैं ही इस हत्याकांड की प्राथमिक की भी दर्ज कराई थी। तब शायद उसे यह नहीं पता था कि अपने बनाए जाल में वह खुद फंसने वाला है। 27 जुलाई 2014 को पीयूष ने कानपुर के स्वरूप नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई कि वह अपनी पत्नी के साथ रात करीब 11:30 बजे एक खाना खाने के बाद घर जा रहा था। तभी 7 व 8 लोग बाइक पर आए और उसकी कार पर टक्कर मारकर उसे रोक लिया। उन लोगों ने उसे कार से बाहर खींच कर पीटा और ज्योति का कर सहित अपहरण करके ले गए।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में ज्योति के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर कुछ घंटे के भीतर ही उसे खोज लिया। ज्योति कर में मरणासन्न अवस्था में मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों से मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो सारे साक्षी पियूष के ही शामिल होने की ओर इशारा करने लगे। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया और बताया है कि उसने ही ज्योति की हत्या करवाई है।
पीयूष ने ज्योति की हत्या के लिए सोनू कश्यप, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, अवधेश चतुर्वेदी और आशीष कश्यप की मदद ली है। पीयूष के इस खुलासे के बाद पुलिस ने अन्य अभियुक्तों को भी गिरफ्तार कर लिया। तथा उनकी निशान देही पर हत्या में प्रयुक्त हथियार, खून से सने कपड़े आदि बरामद किए गए हैं।
साक्ष्य की सभी कड़ियों को जोड़ने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से यह साबित किया गया है कि जो हथियार और कपड़े बरामद हुए हैं वह ज्योति के ही खून से सने हुए थे। मोबाइल कॉल डिटेल और ज्योति के परिवार वालों द्वारा दिए गए बयान से यह साबित हुआ है कि पीयूष और ज्योति के बीच रिश्ता अच्छा नहीं था और पीयूष का अपने पड़ोस में रहने वाली मनीष मखीजा से प्रेम संबंध था। जिसे शादी करने के लिए उसने ज्योति को रास्ते से हटाने का फैसला लिया और उसे अंजाम दिया।
अभियोजन की ओर से इस मामले में कुल 37 गवाह प्रस्तुत किए गए हैं। जिनमें से आठ गवाह ज्योति के परिवार और रिश्तेदार थे। जबकि 22 पुलिस के औपचारिक गवाह थे जिन्होंने विवेचना को अंजाम दिया। इसके अलावा साक्षी को साबित करने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ व अन्य साथ विशेष शब्दों की कार्यवाही कराई गई, जिससे कि यह साबित हो सका की ज्योति की हत्या पियूष नहीं करवाई थी।