कन्नौज हादसा रेलवे के निजीकरण का परिणाम, सरकारी लापरवाही से मजदूरों की जान पर संकट।
वर्कर्स फ्रंट ने मजदूरों के प्रत्येक गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि एक कंपनी को कन्नौज स्टेशन के प्रतीक्षालय, बुकिंग हाल और शौचालय के निर्माण का टेंडर दिया गया जो अनुभवहीन थी। और इसी वज़ह से उसने लोहे के पाइप और लकड़ी पर शटरिंग डाल दी थी। क़रीब 75 वर्ग फीट की छत डाली जा रही थी। जिसमें लकड़ी के खिसकने के कारण डेढ़ सौ फीट लंबा लिंटर टूटकर गिर गया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार लखनऊ (उत्तर प्रदेश )।
कन्नौज रेलवे स्टेशन के निर्माणाधीन भवन की छत गिरने से 40 से अधिक मजदूरों की जान पर संकट और साथ मजदूरों की हालत गंभीर होने और कई मजदूरों के मलबे में दबे होने को वर्कर्स फ्रंट ने सरकार की अपराधी लापरवाही का परिणाम बताया है।
वर्कर्स फ्रेंड के मध्य प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद और महासचिव राम शंकर ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि अमृत भारत रेलवे स्टेशन योजना और कुछ नहीं रेलवे के निजीकरण का ही एक प्रयास है। रेलवे स्टेशन के निर्माण से लेकर पटरी तक का सारा काम प्राइवेट ठेकेदारों को दिया जा रहा है, जिसके कारण आएं दिन रेल दुर्घटनाएं हो रही है। कन्नौज की घटना में भी यह साफ दिख है कि स्टेशन को बनवाने वाली कंपनी आशुतोष इंटरप्राइजेज को हैवी कंस्ट्रक्शन का कोई भी अनुभव नहीं था। पहली बार उसने इस तरह का कार्य करने का ठेका लिया था।
वर्कर्स फ्रंट ने मजदूरों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि एक ऐसी कंपनी को कन्नौज स्टेशन के प्रतिक्षालय, बुकिंग हाल और शौचालय के निर्माण का टेंडर दिया गया जो अनुभवहीन थी, इसी वजह से उसने लोहे के पाइप और लकड़ी पर शटरिंग डाल दी थी। जिसमें लकड़ी की खिसकने के कारण डेढ़ सौ फीट लंबा लिंटर टूटकर गिर गया।
वर्कर्स फ्रंट ने कहा है कि यह बहुत ही दुखद है कि आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर मौजूद कन्नौज जैसे शहर में 2:20 बजे दोपहर में हुई घटना में एनडीआरएफ की टीम पहुंचने में 4 घंटे लग गए। हद यह है कि इतना बड़ा कंस्ट्रक्शन कराया जा रहा है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, वहां रेलवे के इंजीनियर तक मौजूद नहीं थे। वर्कर्स फ्रंट ने लापरवाही बरतने वाले रेलवे अधिकारियों को दंडित करने, रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाने और मजदूर को पर्याप्त मुआवजा और उनके इलाज की व्यवस्था करने की भारत सरकार से मांग की है।
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