जौनपुर के इस गांव की मुसलमान अपने नाम के साथ जोड़ रहे दुबे मिश्रा शुक्ला पूर्वजों के गोत्र, सात पीढ़ी पहले पुरखों ने अपनाया था इस्लाम।
इसी मामले में नौशाद अहमद दुबे ने बताया है कि 7 पीढ़ी पहले हमारे पूर्वजों में से एक लाल बहादुर दुबे से हमारे लोग हिंदू से मुसलमान में कन्वर्ट हुए थे और वह अपना नाम लाल मौहम्मद लिखने लगे थे। और ज़्यादातर लोग आजमगढ़ के रानी की सराय से आए थे। अपने पूर्वजों के बारे में बता रहे हैं सामने आने पर समाज के सामने लाकर रखेंगे।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार जौनपुर (उत्तर प्रदेश )।
ज़िले में एक तरफ अटाला मस्ज़िद – मंदिर विवाद को लेकर देश भर में चर्चाओं में छाया हुआ हैं। जिसमें हिंदू पक्ष की ओर से मस्ज़िद को देवी मंदिर बताया जा रहा हैं, तो वहीं दूसरी और मुसलमान समाज के कई लोग अपने पूर्वजों के गोत्र को अपने नाम के साथ जोड़ रहे हैं। कुछ अपने नाम के साथ दुबे तो कोई मिश्रा, कोई शुक्ला लग रहा है। ऐसा करने के पीछे उनका तर्क यह है कि इनके पूर्वज हिन्दू ब्राह्मण थे। जिले के केराकत का छोटा -सा गांव डेहरी है , जहां के कई मुसलमान अपने नाम के साथ दुबे लिख रहे हैं।
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जौनपुर शहर से करीब 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर केराकत तहसील का छोटा-सा गांव डेहरी की अचानक सुर्खियों में आ गया है। जब इस गांव के नौशाद अहमद ने शादी के कार्ड पर नौशाद अहमद दुबे लिखकर सभी का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा है। उनका कहना है कि उनके पूर्वज पूर्व में हिंदू थे, इसलिए अब वह अपने नाम के साथ अपने गोत्र का भी नाम लिख रहे हैं। जिसको लेकर पूरे इलाके में चर्चाओं में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग नौशाद के परिवार से मिलने आ रहे हैं।
वहीं, इसी मामले में नौशाद अहमद दुबे ने बताया है कि सात पीढ़ी पहले हमारे पूर्वजों में से एक लाल बहादुर दुबे से हमारे लोग हिंदू से मुसलमान में कन्वर्ट हुए थे और अपना नाम लाल मौहम्मद लिखने लगे थे, और ज़्यादातर लोग आजमगढ़ के रानी की सराय से आए थे। अपने पूर्वजों के बारे में बता रहे हैं, कि सामने आने पर समाज के सामने लाकर रखेंगे।
वहीं, नौशाद ने बताया है कि आजमगढ़ के मार्टिनगंज तहसील के एक गांव बीसवां है जहां सुभाष मिश्रा के करीब 14 पीढ़ी पहले मिश्रा से शेख हुए थे। वहां के दोनों परिवारों मिश्रा और शेख लोग जानते हैं कि पूर्व में वो मिश्रा यानी हिंदू थे, इसलिए दोनों परिवार आज भी सौहार्द के मामले में रह रहे हैं।
गांव के दूसरे निवासी इसरार अहमद दुबे का कहना है कि हम सभी से अपील करेंगे कि हम अपने जड़ो से जुड़े शेख, पठान, सैय्यद यह हमारा टाइटल नहीं है। विदेशों से आए लोगों ने यह टाइटल दिया है। इसलिए अपने टाइटल को खोज कर अपनी जड़ों से जुड़े जिससे हमारा देश मजबूत हो और हम आपस में सौहार्द पूर्वक रह सकें।
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