जनपद बिजनौर का चतरपुर गांव आखिर किस गुनाह की सजा रहा है भुगत

केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विकास की योजनाओं से काफी दूर है यह गांव।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार  अफजलगढ  (बिजनौर)। 

देश की केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार जिस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कर रही है और ग्रामीण स्तर अनेक योजनाओं और विकास कार्य  किये जा रहे हैं उस स्तर पर उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के ब्लॉक अफजलगढ़ की पंचायत शाहपुर जमाल ‘ऐ’ का यह लावारिस चतरपुर गांव आज इस स्थिति में है, कि इस गांव की तरफ कोई भी पंचायत विभाग का अधिकारी या कोई भी सरकारी कर्मचारी ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है। कोई भी यह देखने को तैयार नहीं है कि यह भी एक गांव है और इसमें भी जनता रहती हैं इस गांव का भी विकास और गांव की तरह से ही होना चाहिए।

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आखिर ऐसा क्यों , इस गांव की 95% जनता मजदूर और किसान हैं जो की शिक्षा से भी बहुत दूर हैं। इस गांव की टूटी-फूटी सड़के रात को गांव में फैला अंधेरा इस बात का सबूत है, कि यह गांव विकास कार्यों से बहुत दूर है। बारिश के समय इस गांव में रास्तों में नदियां बहती है। जहां पर निकलना बढ़ना तो बहुत दूर की बात है इंसान किसी सवारी से भी निकालते हुए हिचकिचाता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हमारे TV9 भारत समाचार के संवाददाता ने इस गांव का सर्वे किया तो पता चला कि यह गांव बहुत ही गन्दे हालतों में है। जो विकास कार्यों से बहुत दूर है, अछूत है। इस गांव की ओर कोई भी अधिकारी देखने या ध्यान देने को तैयार नहीं है और ना ही कोई विकास का कार्य करने के लिए तैयार है। इस गांव की ग्राम पंचायत शाहपुर जमाल ऐ के अंतर्गत तीन गांव आते हैं जिसमें माननगर, दल्लीवाला और चतरपुर है। जिसमें चतरपुर  गांव नेशनल हाईवे 74 से सटा हुआ है।

इस चतरपुर गांव की हालत बहुत ही दयनीय है, जब देखा तो पता चला की गंदगी से नालियां इस तरह भरी पड़ी है कि इतनी दुर्गंध आ रही है कि उसके पास से निकलना भी मुश्किल है। टूटे-फूटे रस्ते और रास्तों में गारा कीचड़ इस कदर है की कोई भी व्यक्ति साफ सुथरा उन रास्तों से नहीं निकल सकता। रात के समय में इस पूरे गांव में अंधेरा पसरा रहता है। गांव के किसी भी बिजली के खंभे पर कोई लाइट की उचित व्यवस्था नहीं है, ना ही रास्ते साफ सुथरे हैं और ना ही सोलर या इलेक्ट्रिक लाइटों की कोई व्यवस्था है। और इस गांव में सरकारी हैंड पंप एक या दो ही दिखाई दिए हैं। अन्यथा पूरे गांव में कहीं भी कोई भी सरकारी नल नहीं है ना ही किसानों के लिए दी जाने वाली किसी सरकारी योजना का किसी किसान को लाभ मिल रहा है ।

इस गांव में पंचायत स्तर पर ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया गया है। जिससे यहां की जनता यह कह सके कि हमें राज्य सरकार या केंद्र सरकार का कोई लाभ मिला है। यहां के मुख्य मार्ग कीचड़  टूटे-फूटे पत्थरों से सुसज्जित है और साथ ही गंदी नालियों से महक रहे है। और इसी गंदगी के चलते इस गांव में बीमारियों ने अपना प्रकोप इस कदर फैला रखा है कि आसपास के गांव के सभी डॉक्टर इस गांव में बैठकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं। इस गांव में कोई भी ऐसा एक भी घर नहीं बचा हुआ है जिस घर में बड़ा बुजुर्ग या बच्चा बीमार ना हो और इस सब बीमारीयों का कारण इस गांव की गंदगी है।

ग्रामीणों के अनुसार इस गांव के विकास कार्यों को लेकर कोई भी उचित जवाब देने के लिए तैयार नहीं है । कोई भी संतोषजनक कार्य अभी तक इस गांव में नहीं किया गया है। यहां की जनता इस गांव को लावारिस गांव कहकर पुकारती है और इस गांव की स्थिति को देखते हुए लगता भी यही है ,कि यह गांव उत्तर प्रदेश का एक लावारिश गांव है। जिसका ना तो कोई मालिक है और ना ही कोई देखने वाला है। यहां के नेता लोग चुनाव के समय तो बहुत बड़े-बड़े वादे करके जाते हैं, चाहे वह ग्राम प्रधान हो विधायक हो या फिर सांसद ही क्यों ना हो, परंतु चुनाव जीत जाने के बाद कोई भी जनता प्रतिनिधि या नेता इस गांव की शुध लेने के लिए तैयार नहीं है। यह लोग इस गांव के लोगों को पहचानने से इनकार कर देते हैं। क्या कभी कोई नेता या सरकारी कर्मचारी ,अधिकारी इस गांव के

विकास कार्यों की ओर ध्यान देगा,अब यह सोोचने और देखने वाली बात है। कि आखिर कब इस गांव के भाग जागेंगे।

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