हाई कोर्ट ने कहा- हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले आरोपी को दिया जाएं पक्ष रखने का मौका।
हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर इस आदेश को प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश को सूचित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने फिरोज़ मलिक, साज़िद मलिक, इमरान मलिक और निज़ाम मलिक की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज (उत्तर प्रदेश )।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी एक आदेश में मंगलवार को कहा है कि किसी व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले उसे सुनवाई का एक मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हिस्ट्री शीट खोलने से पहले आरोपी को आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए एक मौका देने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
कोर्ट ने कहा है कि जब देश में लोकतंत्र नहीं था, तब औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के लिए हिस्ट्रीशीट खोलने के जो नियम बनाए थे, उनसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होता था। अब आज़ादी के बाद संविधान के लागू होने पर प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन किया जाना अनिवार्य है। कोर्ट नियर टिप्पणी करते हुए पुलिस उपायुक्त गौतमबुद्ध नगर के हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया।
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हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर इस आदेश को प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश को सूचित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने फिरोज़ मलिक, साज़िद मलिक, इमरान मलिक और निज़ाम मलिक की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया।
गौतम बुध नगर के ग्रेटर नोएडा निवासी याचियों के ख़िलाफ़ पुलिस उपायुक्त में 16 जून 2021 को हिस्ट्रीशीट खोलने का आदेश दिया था। याचियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। याची के वकील का कहना था कि याचियों पर 30 जुलाई 2020 को पहला मुक़दमा आईपीसी की धारा 408 और धारा 386 में दर्ज़ किया गया था। उसके बाद गुंडा एक्ट के कार्यवाही की गई। इसके आधार पर बी श्रेणी की हिस्ट्रीशीट खोलने का आदेश जारी कर दिया गया। जबकि यांची पेशेवर अपराधी नहीं है। ऐसे में हिस्ट्रीशीट खोलना अवैध है। इसे रद्द किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा है कि हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले आपत्ति दर्ज़ करने का मौका दिया जाना चाहिए। अदालत ने हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया है और साथ ही राज्य सरकार को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया हैं।
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