हवाई पट्टी के इर्द-गिर्द मानक के रूप में किया जा सकता है निर्माण, हवाई पट्टी के इर्द-गिर्द भवन निर्माण में भविष्य में हो सकती है समस्या।

हवाई पट्टी के मध्य लेने से कितनी दूरी पर आम जनता भवन निर्माण कर सकती है। तथा उसकी ऊंचाई क्या होनी चाहिए? इसके बारे में जानकारी करने का प्रयास किया गया है, परंतु सभी लोगों द्वारा गोल-मोल जवाब दिया गया है। जबकि हवाई पट्टी के दक्षिणी साइड में हवाई पट्टी की दीवार के करीब से मकान का निर्माण भी हो रहा है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार अंबेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)। अन्य शहरों की अपेक्षा, जहां हवाई अड्डे शहर के बाहरी इलाके में स्थित होते हैं, वहीं अंबेडकर नगर जनपद में हवाई पट्टी शहर के मध्य में स्थित है। यदि आप हवाई पट्टी के आस-पास मकान बनाने का सपना देख रहे हैं, तो आप एक निश्चित दायरे में निर्धारित ऊंचाई में ही अपना आशियाना बना सकेंगे। जानकारी के अनुसार, रेड जोन में‌ अथॉरिटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। इसमें विमान प्रचालनों की रक्षा के लिए ऊंचाई संबंधी प्रतिबंध के अनुसार हवाई अड्डे की एक निश्चित दायरे में निर्माण के लिए भवनों की अनुमन्य ऊंचाई निर्धारित की गई है।

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इसके बारे में जानकारी लेने के लिए अधिशासी अधिकारी अकबरपुर बिना सिंह के पास टेलिफोनिक वार्ता की की गई है, परंतु हवाई पट्टी के बगल निर्माण के मानक को स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है। जनपद में भवनों का निर्माण बहुत तीव्र गति से हो रहा है। जिसमें अगल-बगल ने निर्माण किए जा रहे हैं। हवाई पट्टी के मध्य लेने से कितनी दूरी पर आम जनता भवन निर्माण कर सकती है तथा उसकी ऊंचाई क्या होनी चाहिए? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया है, परंतु सभी लोगों द्वारा गोल-मोल जवाब दिया गया है‌। जबकि हवाई पट्टी के दक्षिणी साइड में हवाई पट्टी की दीवार के करीब से मकान का निर्माण भी हो रहा है।

इन सभी चीजों को मीडिया या यह सोचने पर मजबूर हो गया है कि हवाई पट्टी के इर्द -गिर्द कितनी दूरी पर भवन का निर्माण करवाया जा सकता है? भवन निर्माण के लिए किन-किन विभागों से एनओसी लेनी पड़ेगी। कहीं ऐसा तो नहीं की जिम्मेदार विभागों को गुमराह कर भवन निर्माण करवाया जा रहा है। अगर भगवान मानचित्र द्वारा स्वीकृत किया गया हो तो स्पष्ट रूप से अधिशासी अधिकारी द्वारा मीडिया कमी कोई है बताना चाहिए कि अकबरपुर नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत हवाई पट्टी के इर्द-गिर्द किस मानक में भवन निर्माण किए जा सकते हैं।

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अयोध्या में आने वाले समय में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने के पश्चात यह आशा लगाई जा रही है कि ऐसी स्थिति में निर्मित हो रहे भवनों से आने वाले समय में समस्या उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि उड्डयन विभाग का नियम अलग है। रनवे से 150 मीटर के भीतर कोई निर्माण नहीं। 150-500 मटर की दूरी पर केवल एयरपोर्ट संचालन भवनों की अनुमति है। उसके बाद, रनवे से हर 7 मीटर जिसके लिए रनवे से हर 20 मीटर आगे बढ़ने पर 1 मीटर ऊंचा निर्माण करने की अनुमति है। मोटे तौर पर, इसका मतलब है कि 100 मीटर ऊंचा निर्माण रनवे से 1.2 किमी दूर हो सकता है और 150 मीटर ऊंचा निर्माण लगभग 1.5 किमी  दूर हो सकता है।

हवाई अड्डे से परिचालन वाले विमानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, वृक्षों सहित भवनों , संरचनाओं की ऊंचाई आईसीएओ (अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ) प्रकाशनों या किसी विशेष राज्य, देश के लिए प्रख्यापित किसी अन्य नियम के अनुसार, लेट डाउन एवियशन नियमों और सिफ़ारिशों के अनुरूप होनी चाहिए।

शंक्वाकार सतह…………

4 किमी से 6.1 किमी ….. अनुमय ऊंचाई जमीन स्तर से लगभग 45 मीटर से 150 मीटर है।

उड़ान या बुनियादी पट्टी………….

(रनवे सेंटर लाइन के दोनों ओर  लगभग 150 मीटर और रनवे के अंत से दोनों ओर 60 मीटर), “इस सतह पर विमान सुविधाओं को छोड़कर किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है।”

संक्रमण कालीन सतह…………

उड़ान या मूल पट्टी से परे 150-315 मीटर तक, स्वीकार्य ऊंचाई 45 मीटर। (150 मीटर से आगे की दूरी पर स्वीकार्य ऊंचाई 14.3% की दर से बढ़ जाती है) आंतरिक क्षैतिज सतह – दूरी 315 मीटर से 4 किलो मीटर – ऊंचाई निकासी जमीन स्तर से लगभग 45 मीटर ऊपर है।

बाहरी क्षैतिज सतह……………

6.1 किलोमीटर से 15 किलोमीटर – स्वीकार्य ऊंचाई जमीन स्तर से 150 मीटर ऊपर लैंडिंग और टेक ऑफ फनल, इस सतह को सबसे महत्वपूर्ण सतह  माना जाता है। ऊपर दी गई दूरी या सतह की गणना के अनुसार, ऊंचाई प्रतिबिंब या रनवे की शुरुआत / अंत से दूरी का 2 / 2.5% है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अनुमय ऊंचाई के उपरोक्त आंकड़े मोटे तौर पर आधारित है, यह मानते हुए की हवाई अड्डे की जमीन की ऊंचाई औसत समुद्र तल से ऊपर है, इसीलिए निर्माण स्थल के संबंध में समान है।