गोधरा कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई 13 फरवरी को।
इस मामले में गुजरात सरकार के अलावा कई दोषियों ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात सरकार ने कहा है कि वह उन 11 दोषियों की फांसी की सजा की मांग कर रहा है। जिनकी सज़ा कम कर उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया है। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था। इस मामले में 63 अन्य आरोपितों को बरी कर दिया गया था।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार सुप्रीम कोर्ट (गुजरात )।
सुप्रीम कोर्ट 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 13 फरवरी को करेगा। जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि अब इस मामले में आगे कोई स्थगनादेश नहीं दिया जाएंगा।
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस- 6 बोगी में आग लगाई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से कार सेवकों को लेकर आ रही थी।
आपको बता दें कि इस मामले में गुजरात सरकार के अलावा कई देशों ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। गुजरात सरकार ने कहां है कि वह उन 11 दोषियों की फांसी की सज़ा की मांग कर रहा है। जिनकी सज़ा कम कर उम्र कैद में तब दिल कर दिया गया है।
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस- 6 बोगी में आग लगाई गई थी। जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। गोधरा की घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 11 को फांसी की सज़ा और 20 को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। इस मामले में 63 अन्य आरोपितों को बरी कर दिया गया था।
2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से फांसी की सज़ा मिले 11 दोषियों की सज़ा कम करते हुए उम्रकैद में बदल दिया था और 20 को मिली उम्रकैद की सज़ा को बरकरार रखा था।